आमतौर पर तिहाड़ जेल देश में बड़े आपराधिक वारदातों को अंजाम देने वालों के बंदीगृह के रूप में जाना जाता है लेकिन सिक्के का दूसरा पहलु भी है जहां इसी जेल के छह कैदी प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के सिलसिले में दिनरात एक किये हुए है.
तिहाड़ में जेल संख्या तीन में हत्या, अपहरण और धोखाधड़ी जैसे आपराधों के मामले में बंद छह कैदी आईएएस की तैयारी में जी जान से जुटे हैं हालांकि वे अपनी रिहाई के बारे में निश्चित नहीं हैं.
इन कैदियों कोई कोचिंग सुविधा उपलब्ध नहीं है और स्वअध्ययन के साथ तैयारियों के सिलसिले में एक अन्य कैदी से सहायता प्राप्त कर रहे हैं जिसने पूर्व में आईएएस की तैयारी में छात्रों को कोचिंग दी थी.
हत्या के आरोप में जेल में बंद गाइजोआयो जार्ज ने कहा, ‘अगर ठीक ढंग से संभावना तलाशी जाए और उसका उपयोग किया जाए तो मणिपुर में भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सहयोग की काफी संभावना है. लेकिन अभी तक इसका दोहन नहीं किया जा सका है. इस क्षेत्र के युवाओं को प्रोत्साहित किये जाने की जरूरत है. अगर मैं आईएएस परीक्षा पास करता हूं तो राज्य का विकास मेरा मुख्य एजेंडा होगा.’
जार्ज उस समय सुखिर्यों में आए थे जब तिहाड़ जेल में पहले प्लेसमेंट कार्यक्रम में उन्हें कई कंपनियों से नौकरियों की पेशकश प्राप्त हुई थी. उन्होंने कहा, ‘मुझे जब भी समय मिलता है, मैं पढ़ता हूं. जेल से बाहर रहने के दौरान प्राप्त जी एनआईआईटी कोर्स से मुझे काफी लाभ मिला.
हालांकि इस परीक्षा (आईएएस) की तैयारी के लिए 24 घंटे का समय काफी कम है. जेल में बंद एक अन्य सहयोगी से मुझे काफी मदद मिल रही है जो स्वयं परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.’ धोखाधड़ी के मामले में जेल में बंद छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के निवासी सिद्धार्थ सिंह सिदर तिहाड़ के कई कैदियों के लिए बड़ी मदद बन गए हैं जो इस प्रतिष्ठित परीक्षा की तैयारी में जुटे हैं.
आईआईटी खड़गपुर के डिग्री हासिल करने और नौकरी छोड़कर आईएएस की तैयारी करने दिल्ली आने के बाद सिद्धार्थ आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के लिए मुखर्जी नगर क्षेत्र में कोचिंग क्लास भी शुरू किया था.
उन्होंने कहा, ‘मैं दिसंबर 2010 से जेल में हूं. मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि जेल को मैं बरदान या अभिशाप मानू. मैं खुश हूं कि मुझे आईएएस परीक्षा की तैयारी के लिए समय मिल रहा है.’ तिहाड़ जेल के महानिदेशक (जेल) नीरज कुमार ने कहा कि जेल प्रशासन परीक्षा की तैयारी करने वाले सभी कैदियों की पूरी मदद कर रहा है और जरूरी पाठ्य सामग्री उपलब्ध करा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 में बलात्कार के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे एक कैदी को उस समय रिहा किया था जब उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास की थी.’ अपहरण के मामले में बंद अमित झा रात में पढाई करना पसंद करते हैं.