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जनता परिवार के 6 दलों का विलय, न झंडा न निशान फिलहाल मुलायम को कमान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए छह दल एक साथ आ गए हैं. इन दलों को मिलाकर नई पार्टी गठन करने का ऐलान जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने किया.

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जनता परिवार के नेता एक साथ
जनता परिवार के नेता एक साथ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए छह दल एक साथ आ गए हैं. इन दलों को मिलाकर नई पार्टी गठन करने का ऐलान जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव ने किया.

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मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी, नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड, लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की जनता दल सेकुलर, ओम प्रकाश चौटाला की आईएनएलडी और कमल मोरारका की समाजवादी जनता पार्टी मिलकर एक नया दल बन जाएंगे. शरद यादव ने कहा- स्थि‍रता की कोई गारंटी नहीं

बुधवार को मुलायम सिंह यादव के घर पर चली लंबी बैठक के बाद विलय का ऐलान किया गया.

शरद यादव ने कहा, 'सपा, जेडीयू, आरजेडी, जेडीएस, आईएनएलडी और सजपा का आपस में विलय होगा. आज हुई बैठक में नए दल के गठन का फैसला किया गया है. नए दल के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव होंगे. वह ही पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष भी होंगे.' कहानी जनता परिवार के बिखराव भरे अतीत की

नाम, झंडा और चुनाव चिन्ह अभी तय नहीं
आपको बता दें कि पार्टी के नाम, झंडा, चुनाव चिन्ह पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. इसके लिए एक कमिटी का गठन किया गया है, जिसमें एचडी देवगौड़ा, लालू यादव, ओम प्रकाश चौटाला, शरद यादव, राम गोपाल यादव और कमल मोरारका होंगे. यह कमिटी विलय प्रक्रिया और नई पार्टी की रणनीति का खाका-चिट्ठा तय करेगी.

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मोदी सरकार को चुनौती देना हमारा मकसदः लालू यादव
लालू यादव ने कहा कि इस विलय का मकसद केंद्र की बीजेपी सरकार को चुनौती देना है. उन्होंने कहा, 'हम लोग पूरे देश का दौरा करके जनता तक संदेश पहुंचाएंगे. हम समाजवाद की राजनीति करके बीजेपी को सत्ता से बेदखल करेंगे और यही हमारी नीति है. बिहार पहला जंग का मैदान होगा.'

बीजेपी को नहीं रोक पाएगा जनता परिवारः शाहनवाज हुसैन
इस विलय पर बीजेपी की प्रतिक्रिया भी आ गई है. बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा, 'ये जनता परिवार का जो विलय हुआ है. वो बिहार को ध्यान में रख कर हुआ है. ये लोग डरे हुए हैं. उन्हें लगता है कि मिल जाएं तो बीजेपी को रोका जा सकता है. पर ऐसा होना नहीं है. इनमें विवाद ही ज्यादा है. विलय की बात तो कर दी पर न झंडा तय हुआ न ही चुनाव चिन्ह.'

आरजेडी-जेडीयू की नजर बिहार चुनाव पर
विलय का सबसे बड़ा सियासी फायदा राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड को होता दिख रहा है. अब तक चुनाव में दोनों ही पार्टियों आपस में भिड़ती रहीं, कई बार एक दूसरे के वोट बैंक को नुकसान भी पहुंचाया. विलय होने के साथ दोनों पार्टियों के वोटबैंक का साथ आना तय माना जा रहा है. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो पिछले विधानसभा चुनाव में आरजेडी को 18.84 फीसदी वोट मिले थे जबकि जेडीयू 22.58 फीसदी वोट के साथ राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. ऐसे में अब राज्य में बीजेपी और नरेंद्र मोदी को मजबूत चुनौती मिलेगी. और बीजेपी विधानसभा चुनाव में हार जाती है तो इसका असर उत्तर प्रदेश चुनावों में भी दिखेगा.

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नए जनता परिवार की लोकसभा में कुल 15 सीटें हैं. (कुल सदस्य - 543, एनडीए- 336, यूपीए - 56)
एसपी-5
आरजेडी-4
जेडी(यू)- 2
जेडी(एस)- 2
आएनएलडी- 2

नई पार्टी को राज्यसभा में कुल 40 सदस्य हैं. (कुल सदस्य- 250, एनडीए- 57, यूपीए- 80)
एसपी- 15
जेडी(यू)- 12
आरजेडी- 1
जेडी(एस)- 1
आईएनएलडी- 1

जनता परिवार को मिलेगा राष्ट्रीय पार्टी का तमगा?
नई पार्टी को लोकसभा में कुल 15 सांसद हैं और राष्ट्रीय वोट का 7.06 फीसदी. ये आंकड़े तो यही बताते हैं कि जनता परिवार को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाएगा. मौजूदा कानून के मुताबिक कोई भी राजनीतिक पार्टी जो जनता के सदन यानी लोकसभा के कुल सीटों का 2 प्रतिशत जीतने में कामयाब रहे और उसके सदस्य कम से कम तीन अलग राज्यों से चुनकर आए हों, ऐसी स्थिति में इस पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता दी जाएगी. तकनीकी तौर पर नई पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी माना जाएगा. हालांकि, इस पर फैसला चुनाव आयोग को करना होगा क्योंकि यह विलय चुनाव के पहले नहीं, इसके बाद हो रहा है.

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