वीवीआईपी सिक्योरिटी में लगे एनएसजी के 600 कमांडो हटा लिए गए हैं. वीवीआईपी सुरक्षा से हटाए गए इन कमांडोज को आतंकियों के खिलाफ होने वाले ऑपरेशनों में इस्तेमाल किया जाएगा.
इससे पहले पठानकोट आतंकी हमले के दौरान पहली बार वीवीआईपी सुरक्षा से हटाकर 600 एनएसजी कमांडो आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए लगाए गए थे. गौरतलब है कि पिछले दो साल से इस योजना पर काम करने की बात हो रही थी. पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में पहली बार ब्लैक कैट कमांडो ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में मोर्चा संभाला.
बन गया नया ब्लूप्रिंट
नए ब्लूप्रिंट के मुताबिक, स्पेशल रेंजर्स ग्रुप (एसआरजी) की तीन में से दो टीमों को वीवीआईपी सुरक्षा ड्यूटी से हटाकर आतंकियों के खिलाफ होने वाले ऑपरेशनों के लिए लगा दिया गया है. स्पेशल ऐक्शन ग्रुप (एसएजी) के साथ ये दोनों टीमें भी अब आतंकियों के खिलाफ मोर्चा संभालेंगी.
ऐसे बनती है स्पेशल फोर्स
आपको बता दें कि एनएसजी कमांडोज की टीम पांच प्राइमरी यूनिट के तहत तैयार की जाती हैं. दो एसएजी में आर्मी के जवान और अधिकारी होते हैं. जबकि तीन एसआरजी में अर्धसैनिक बलों के जवान होते हैं. दोनों एसएजी के सदस्यों को आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन, काउंटर हाइजैक, अपहृतों को बचाने के लिए ऑपरेशन चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है. एसआरजी का काम इसमें सहयोग का होता है. हर एसआरजी में 300 कमांडो होते हैं और एक टीम में करीब 1000 जवान होते हैं.
मूल काम से हट गई थी NSG
साल 1984 में एनएसजी कमांडोज का गठन आतंकियों के साथ होने वाली मुठभेड़ के लिए ही किया गया था. बाद में एनएसजी कमांडो का प्रयोग आतंकियों के खिलाफ होने वाले ऑपरेशनों के लिए भी किया जाने लगा. कुछ समय पहले एनएसजी ने सरकार से कोई और अतिरिक्त जिम्मेदारी न देने की अपील की थी. जिसके बाद पिछले दो साल से इन्हें कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी नहीं दी गई.
एनएसजी के एक कमांडो ने बताया, 'आने वाले कुछ दिनों में तो नहीं लेकिन थोड़े समय में एनएसजी अपने मूल काम की ओर लौट जाएगी. वीवीआईपी सुरक्षा की जगह देश सुरक्षा ही एनएसजी कमांडो के जिम्मे रहेगा. आखिरी टीम एसआरजी भी आज नहीं तो कल अपने मूल काम, आतंकियों के खिलाफ मोर्चा लेने का ही काम करेगी.'