नसीबों की दुहाई वाले देश में एक रोग ऐसी बदनसीबी बन गया है, जिसका रास्ता मौत की मंजिल से मिलता है. लोगों में दहशत, मरीजों में खौफ, अस्पतालों में अफरा-तफरी. किसी को समझ में नहीं आ रहा कि जिसे स्वाइन फ्लू कहते हैं, उससे बचा कैसे जाए. स्वाइन फ्लू से लोगों की मौत का सिलसिला जारी है और इस रोग के कारण मरने वाले रोगियों की संख्या 620 को पार कर गई है. देश के दवा प्राधिकरण ने मंगलवार को दवा दुकानदारों से पर्याप्त मात्रा में टेमी फ्लू दवा रखने का निर्देश दिया है. लेकिन साथ ही उन्हें बिना चिकित्सकीय सलाह के यह दवा नहीं बेचने की सलाह दी है.
आंकड़ों के मुताबिक, स्वाइन फ्लू के विषाणु ने 15-16 फरवरी को 39 और लोगों की जान ले ली जिसके साथ इस साल इस रोग से मरने वालों की संख्या 624 हो गई. अभी तक 9311 लोग इस बीमारी के चपेट में आए हैं जो पिछले कुछ सालों की तुलना में बहुत ज्यादा है. बीमारी से जिस तेजी से रोगियों की मौत हो रही है, उससे मौत का शिकार होने वाले रोगियों की संख्या 2013 के संबंधित आंकड़े को पार सकती है. 2013 में स्वाइन फ्लू से 699 लोगों की मौत हो गई थी. पिछले साल 218 लोग इस बीमारी की भेंट चढ़ गए थे. 2012 में इस बीमारी ने 405 लोगों की जिंदगी छीन ली थी.
बताया जाता है कि स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने इस संकट का जायजा लेने के लिए मंगलवार को एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. अधिकारियों ने राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट और इस संक्रामक बीमारी से निबटने के तौर तरीकों का मूल्यांकन किया. सूत्रों के मुताबिक, कुछ स्थानों पर दवाओं की कमी की रिपोर्ट मिलने पर भारतीय दवा महानियंत्रक ने 10000 से अधिक दवा दुकानदारों को पर्याप्त मात्रा में ओसेलटामिविर दवा रखने को कहा है, लेकिन साथ ही उन्हें बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवा नहीं बेचने को भी कहा है. महानियंत्रक ने दवा दुकानदारों से कहा कि वे यह दवा बेचते समय उस परामर्श पत्र की एक फोटो कॉपी अपने पास रख लें, जिसके आधार पर दवा बेच रहे हों.
राजस्थान, गुजरात सबसे प्रभावित
सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में राजस्थान और गुजरात का नाम है. 16 फरवरी तक इस रोग से मरने वालों की संख्या इन दोनों राज्यों में क्रम से 176 और 150 हो गई. राजस्थान में सर्वाधिक मौतों की खबर राजधानी जयपुर से है. मंगलवार को जोधपुर के राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के एक छात्र के स्वाइन फ्लू के पॉजिटिव पाए जाने के बाद इसे दस दिनों के लिए बंद कर दिया गया.
मध्यप्रदेश में 81 लोग इस बीमारी के कारण मर गए हैं और ऐसे मरीजों की संख्या सबसे अधिक संख्या (15) इंदौर से थी. हिमाचल प्रदेश में स्वाइन फ्लू से एक मरीज की जान चली गई है. मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने स्वास्थ्य विभाग को इस रोग से निबटने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने का निर्देश दिया और कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है. इसी बीच दो वरिष्ठ अधिकारियों को स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी के राममनोहर लोहिया अस्पताल भेजा गया, जहां से स्वाइन फ्लू रोगियों को दवा हासिल करने में मुश्किलें आने की खबरे हैं.
-इनपुट भाषा से