पश्चिम बंगाल में रविवार को स्थानीय निकाय निकायों के चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस और माकपा कार्यकर्ताओं में झड़प और हिंसा की छिटपुट घटनाओं के बीच लगभग 65 फीसदी मतदान दर्ज किया गया.
वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव के पहले ‘सेमीफाइनल’ के रूप में माना जा रहा यह चुनाव 81 स्थानीय निकायों और कोलकाता नगर निगम के 141 वार्ड में हुआ, जिसमें 85 लाख मतदाता शामिल हुए. बर्दवान में दो पुलिसकर्मियों और तृणमूल के एक उम्मीदवार सहित नौ लोग उस वक्त घायल हो गये, जब तृणमूल और माकपा के कार्यकर्ताओं के बीच जमुरिया नगर निकाय में मतदान के दौरान झड़प हो गई.
पुलिस ने बताया कि श्रीपुर में जब मतदान चल रहा था, उस वक्त दोनों पक्षों के बीच झड़प हो गई. पुलिस जब मौके पर पहुंची, तब उन पर पथराव किया गया और उनकी दो जीपों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. श्रीपुर पुलिस थाना के प्रभारी सैकत रे और अन्य पुलिसकर्मी पथराव में घायल हो गये. तृणमूल उम्मीदवार साधन चंद्र रे भी इस झड़प में घायल हो गये. उन्हें बाद में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया.
एक अन्य घटना में एक व्यक्ति उस वक्त घायल हो गया, जब दक्षिण 24 परगना जिले में त्रिपुरा पुलिस ने पटौली स्थित एक मतदान केंद्र पर तीन गोलियां चलाई. पुलिस महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) एस. के. पुराकायस्थ ने संवाददाताओं को बताया कि घायल व्यक्ति की पहचान बापी धर के रूप में की गई है और उसे अस्पताल ले जाया गया है. {mospagebreak}
उन्होंने बताया कि इस घटना की जांच का आदेश दिया जाएगा. हुगली जिले के कुछ वार्ड में तृणमूल समर्थकों की पुलिस के साथ झड़प हुई. पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि तृणमूल कार्यकर्ताओं ने बर्दवान जिले के श्रीपुर में एक पुलिस वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया. हावड़ा जिले के लिलुआ में कुछ देशी बम बरामद किये गये, जहां पुलिस ने दो मोटरसाइकिलें जब्त कर ली और एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया.
अधिकारी ने बताया कि कुछ मतदान केंद्रों पर ईवीएम में गड़बड़ी आने से मतदान की प्रक्रिया धीमी हो गई थी. सुबह के सात बजे कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुआ मतदान अपराह्न तीन बजे समाप्त हो गया. मतदान केंद्रों के पहरेदारी और गश्त लगाने के कार्य में बड़े पैमानों पर अर्धसैनिक बलों का इस्तेमाल किया गया. वर्ष 2005 में 81 स्थानीय निकायों में से 51 पर वाम दल ने अपना पताका फहराया था.
वाम दल के लिये कोलकाता नगर निगम का चुनाव प्रतिष्ठा का मुद्दा है क्योंकि इसे उसने 2005 में तृणमूल से छीना था. तीनों बड़ी पार्टियां वाम दल, तृणमूल और कांग्रेस का इस चुनाव में काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है. स्थानीय निकायों के चुनाव के लिये जबरदस्त प्रचार करने वाली तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी को इस चुनाव के नतीजों से यह संकेत मिल जाएगा कि वह अगले साल मई में होने वाले विधानसभा चुनाव को जीतकर राज्य की सत्ता में आ सकती है या नहीं. यदि इस चुनाव का नतीजा उनके पक्ष में आया तो वह विधानसभा चुनाव में ‘एकला चलो रे’ का विकल्प चुन सकती हैं.