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सवालों के घेरे में तेलंगाना के सीएम की 66 करोड़ रुपए की 'इफ्तार पार्टी'

यहां हाईकोर्ट में ताजा जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल कर ‘दावत-ए-इफ्तार’ पर रोक लगाने की मांग की गई है. आरोप है कि कि राज्य सरकार की ओर से तेलंगाना की अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं का कीमती पैसा इस तरह के आयोजनों पर पानी की तरह बहा कर दुरुपयोग किया जा रहा है.

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तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव

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तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) की ओर से दी जाने वाली सालाना इफ्तार पार्टी फिर विवादों के घेरे में है. ये इफ्तार पार्टी शुक्रवार शाम को हैदराबाद में दी जाने वाली है. इसमें मुख्यमंत्री, उनकी कैबिनेट के सदस्यों के अलावा शहर के जाने-माने लोगों के हिस्सा लेने की संभावना है.   

यहां हाईकोर्ट में ताजा जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल कर ‘दावत-ए-इफ्तार’ पर रोक लगाने की मांग की गई है. आरोप है कि कि राज्य सरकार की ओर से तेलंगाना की अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं का कीमती पैसा इस तरह के आयोजनों पर पानी की तरह बहा कर दुरुपयोग किया जा रहा है.

हैदराबाद में इफ्तार पार्टी के मुख्य आयोजन के अलावा ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के तहत आने वाली 400 मस्जिदों और राज्य के अन्य जिलों की 400 मस्जिदों में इफ्तार के अलावा रमजान गिफ्ट के तौर पर कपड़े भी बांटे जाएंगे. इस सब के लिए तेलंगाना सरकार की ओर से 66 करोड़ रुपए आवंटित किए जाने की बात कही जा रही है.

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5 जून को वकील अभिनव की ओर से आंध्र और तेलंगाना हाईकोर्ट का इसी संबंध में दरवाजा खटखटाया गया था. तब हाईकोर्ट ने चीफ जस्टिस ने याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर करने से इनकार कर दिया था. साथ ही याची को वैकेशन कोर्ट में जाने के लिए कहा था.  

याची के वकील समीर अहमद के मुताबिक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मंगलवार को पीआईएल आने पर सुनवाई करेंगे. समीर अहमद ने ये भी कहा कि अगर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संतुष्ट हुए कि सरकारी पैसे का दुरुपयोग हुआ है तो वे फंड की रिकवरी का आदेश दे सकते हैं.

खर्चीली इफ्तार पार्टी का विरोध करने वाले एक्टिविस्ट्स में लुबना सरवत भी शामिल हैं. लुबना ने सभी धार्मिक नेताओं, राजनेताओं, नौकरशाहों और नागरिकों से मुख्यमंत्री की इफ्तार पार्टी का बॉयकॉट करने की अपील की है.  

बता दें कि मुख्यमंत्री केसीआर के पास ही 2014 से ही अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की भी जिम्मेदारी है. एक्टिविस्ट लुबना सरवत ने कहा, ‘तेलंगाना के लोग फैसला ले कि टैक्सपेयर्स के पैसे को इस तरह के खर्चीले आयोजनों पर उड़ाना कितना जायज है. सरकारी पैसे को बिना किसी धार्मिक, जातिगत और लैंगिक भेदभाव के सिर्फ और सिर्फ लोगों की भलाई के लिए खर्च किया जाना चाहिए.

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‘मजसिल बचाओ तहरीक’ के नेता अमजदुल्ला खान ने भी खर्चीले इफ्तार आयोजनों पर सवाल किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारी रमजान गिफ्ट के नाम पर भ्रष्टाचार में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि मुख्यमंत्री ने जितना एलान किया था उसमें से कितना पैसा वास्तव में मुस्लिम कल्याण पर और इफ्तार गिफ्ट पर खर्च किया गया.

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