मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को फांसी दे दी गई है. 1993 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों का एकलौता आरोपी है जिसे फांसी की सजा दी गई है. आइए डालते हैं उन सात वजहों पर नजर जिसके लिए याकूब की फांसी के मामले को याद किया जाएगा.
1. धमाकों के 22 साल बाद फांसी
मुंबई धमाकों के 22 साल बाद हुआ न्याय. टाइगर मेमन के भाई और दाऊद इब्राहिम के खासमखास रहे याकूब मेमन को फांसी दी गई . मुंबई में 12 मार्च 1993 को सिलसिलेवार 12 जगहों पर हुए धमाकों में 257 लोग मारे गए थे जबकि 713 लोग घायल हुए थे. याकूब पर इन हमलों के लिए हवाला के जरिये पैसे जुटाने का आरोप था.
2. सबसे महंगी फांसी
नागपुर सेंट्रल जेल में याकूब की फांसी के लिए हैंगिंग शेड पर करीब 23 लाख रुपए खर्च करके लोहे का एक सुरक्षा कवच तैयार किया गया था. इस तरह ये फांसी देश की सबसे महंगी फांसी बन गई . बताया जा रहा है कि 1970 में पुणे के येरवडा जेल से इंटरनेशनल स्मगलर डैनियल हैली वॉलकॉट को हेलिकॉप्टर से भगाने की कोशिश हुई थी. सरकार नहीं चाहती कि इस तरह कोई कोशिश इस बार हो सके.
3. दया याचिकाओं की लंबी प्रक्रिया
याकूब की फांसी रुकवाने के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति तक कई बार दया याचिकाएं पेश की गई. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में भी क्यूरेटटिव पिटीशन दाखिल कर बार-बार फांसी की सजा पर अमल को टालने की कोशिश हुई. लेकिन शीर्ष अदालत ने फैसले को बरकरार रखा.
4. फांसी टालने की कोशिशें
अदालतों से बाहर भी याकूब मेमन की फांसी की सजा रुकवाने की लगातार कोशिश हुई. सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो जाने के बाद कई दलों के सांसदों, जाने-माने वकीलों, समाजसेवी और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ीं करीब 40 नामी हस्तियों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख कर याकूब मेमन की फांसी रोकने की अपील की थी.
5. पहली बार रात में चली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी केस पर सुनवाई के लिए देर रात सुप्रीम कोर्ट खुली हो. याकूब मेमन की याचिका बुधवार को पहले सुप्रीम कोर्ट, फिर गवर्नर और बाद में राष्ट्रपति के दरवाजे से खारिज होने के बाद उसके वकीलों ने गुरुवार रात एक आखिरी कोशिश की. सुप्रीम कोर्ट के कुछ सीनियर वकीलों ने याकूब की फांसी पर 14 दिन की रोक लगाने की मांग को लेकर रात दो बजे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. तीन बजकर 20 मिनट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. करीब डेढ़ घंटे चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने याकूब की फांसी को बरकरार रखते हुए याचिका खारिज कर दी.
6. जल्लाद ने नहीं दी फांसी
याकूब मेमन को गुरुवार सुबह फांसी दे दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उसकी याचिका खारिज कर दी थी और टाडा कोर्ट के डेथ वॉरंट को भी सही ठहराया. याकूब मेमन को जल्लाद ने नहीं बल्कि जेल सुपरिटेंडेंट ने फांसी दी. जेल सुपरिटेंडेंट योगेश देसाई ने खुद फांसी का फंदा उसकी गर्दन में डाला. योगेश देसाई ने ही कसाब को फांसी दी थी.
7. नागपुर जेल में 31 वर्ष बाद फांसी
नागपुर सेंट्रल जेल में करीब 31 वर्ष किसी कैदी को फांसी दी गई है. याकूब की फांसी के बाद नागपुर जेल में अब तक कुल 22 लोगों को फांसी दी जा चुकी है.