बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित 8 राज्यों में लोग भयंकर गरीबी से जूझ रहे हैं और इन राज्यों में गरीबों की तादाद 26 सबसे गरीब अफ्रीकी देशों के लोगों के मुकाबले अधिक है.
यूएनडीपी के सहयोग से आक्सफोर्ड पावर्टी और मानव विकास पहल द्वारा विकसित किए गए मल्टीडायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स (एमपीआई) से गरीबी का यह आकलन किया गया है.
एमपीआई के जरिए किए गए विश्लेषण के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में 42.1 करोड़ लोग गरीबी की मार से त्रस्त हैं, जबकि 26 निर्धन अफ्रीकी देशों में गरीब लोगों की संख्या 41 करोड़ है.
गरीब का सूचकांक, एमपीआई तैयार करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि गरीबी आंकने के नए सूचकांक से गरीबी का जीवन बिता रहे लोगों की बहुआयामी तस्वीर देखने को मिलेगी और इससे विकास के संसाधनों का और अधिक प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी.
वर्ष 2010 की यूएनडीपी मानव विकास रपट अक्तूबर के अंत में जारी की जाएगी, लेकिन एमपीआई के जरिए अनुसंधान से सामने आए तथ्यों को लंदन में एक नीति मंच पर आज उपलब्ध कराया गया.
एमपीआई के अंतर्गत घरेलू स्तर पर अहम कारकों का आकलन किया गया है जिनमें शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य की देखभाल तक शामिल हैं. इन कारकों को एक साथ करने पर गरीबी की सटीक स्थिति का पता चलता है. नया सूचकांक तैयार करने वाली ओपीएचआई की निदेशक डाक्टर सबीना अलकिरे ने कहा, ‘‘ एमपीआई एक हाई.रिजोल्यूशन लेन्स की तरह है जो गरीब परिवारों के समक्ष आ रही चुनौतियों की व्यापक तस्वीर सामने लाता है.’’ अलकिरे ने जार्ज वाशिंगटन युनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेम्स फोस्टर अज्ञैर ओपीएचआई की मारिया एमा सेंटोस के साथ मिलकर एमपीआई तैयार किया है.