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वीएचपी महासचिव का दावा- 8 लाख हिंदू हर साल बदल लेते हैं धर्म

विश्व हिन्दू परिषद के महासचिव वाय राघवुलु ने धर्मांतरण पर नया बयान दिया है. उनका कहना है कि हर साल धर्म बदलने वाले हिन्दुओं की संख्या 8 लाख है. राघवुलु ने कहा कि ये भारत की अखंडता के लिए एक बड़ा खतरा है.

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वीएचपी के महासचिव का विवादित बयान
वीएचपी के महासचिव का विवादित बयान

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भारत में जिस वक्त धर्म परिवर्तन एक विवादित मुद्दा बना हुआ है, विश्व हिन्दू परिषद(वीएचपी) के राष्ट्रीय महासचिव वाय राघवुलु ने एक और विवादित बयान देकर इस आग को भड़काने का काम कर दिया है. राघवुलु ने दावा किया है कि हर साल 8 लाख हिन्दू अपना धर्म परिवर्तन कर रहे हैं.

रविवार को वीएचपी के दिग्गज नेता मोहनलाल अग्रवाल को सम्मानित करने के लिए आयोजित हुए एक कार्यक्रम के दौरान राघवुलु ने कहा कि हर साल 8 लाख हिन्दू या तो ईसाई धर्म या इस्लाम अपना लेते हैं. वीएचपी के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष जी राघव रेड्डी भी इस मौके पर मौजूद थे लेकिन उन्होंने मीडिया से इस बारे में कोई भी बात करने से इंकार कर दिया.

अखंडता को खतरा
राघवुलु ने कहा कि हिंदुओं के धर्मांतरण की संख्या बहुत बड़ी है और ये भारत की अखंडता के लिए एक बड़ा खतरा है. वीएचपी नेता ने आरोप लगाया कि ईसाई और मुसलमान देश में लोगों को अपना धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और ये भारत पर अधिकार पाने की रणनीतियों में से एक है. राघवुलु ने कहा कि घुसपैठ को बढ़ावा देना, हिन्दुओं की जमीन हथियाना और भारतीय संप्रदायों का बंटवारा करना इस देश को काबू में करने की तकनीकों में से एक हैं.

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असम में बढ़ा धर्मांतरण
राघवुलु ने दावा किया कि असम में हो रहे धर्मांतरण और बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ तेजी से बढ़ रही है. असम की तरह ही देश के बाकी हिस्सों में भी मुसलिमों की संख्या में बढ़ोतरी जबकि हिन्दुओं की संख्या में दर्ज की गई है. वीएचपी नेता ने कहा, 'ये बेशक हिन्दू समाज के लिए एक खतरा है. ये सही समय है कि हम धर्मांतरण के खतरे को लेकर सतर्क हो जाएं.'

एक और विघटन नहीं
राघवुलु ने कहा कि भारत से पहले ही कई हिस्से टूटकर अलग देश बन चुके और अब बचे हुए भारत को टूटने नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश कभी अखंड भारत का हिस्सा थे. आज ये अलग-अलग देश बन गए हैं. हम देश से एक और विघटन नहीं होने देंगे.'

धर्म परिवर्तन पिछले एक साल से देश में विवाद का मुद्दा बना हुआ है. खासतौर पर संघ परिवार के घर वापसी अभियान के बाद इस विषय ने बड़ा रूप अख्तियार कर लिया था.

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