जम्मू-कश्मीर में अनच्छेद 370 को लेकर आखिरकार मोदी सरकार ने बड़ा फैसला कर ही लिया. इससे पहले जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार अब तक 8 बड़े फैसले कर चुकी है. इन फैसलों ने घाटी की सियासत को एक नया मोड़ दे दिया है. मोदी सरकार को जब लगा कि बातचीत के जरिए कश्मीर समस्या का समाधान तलाशना चाहिए, तब वार्ताकार भी नियुक्त किया गया. जब लगा कि घाटी में आतंकियों की सक्रियता ज्यादा है तो बड़ा ऑपरेशन भी चलाया.
सरकार को जब लगा कि घाटी की जनता को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए पंचायतों को मजबूत करना है तो चुनाव कराने के साथ बजट भी जारी किया. पिछले और मौजूदा कार्यकाल को लेकर मोदी सरकार ने अब तक 9 बड़े फैसले किए, जिसने घाटी की सियासत में हलचल पैदा कर दी.
1- अनुच्छेद 370 पर बड़ा फैसला
मोदी सरकार की तरफ से राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को अनुच्छेद 370 को लेकर लिए गए फैसले की जानकारी दी. सरकार ने बताया कि अनुच्छेद 370 के उन प्रावधानों को हटा दिया गया है, जो जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार प्रदान करते हैं. इसके अलावा उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का संकल्प भी पेश किया. जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को जहां केंद्रशासित प्रदेश बनाने का फैसला किया गया, वहीं लद्दाख को अलग राज्य बनाए जाने की घोषणा की गई. जम्मू-कश्मीर के विलय के बाद से किसी सरकार की ओर से उठाया गया सबसे बड़ा कदम है.
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2- 7 साल बाद पंचायत चुनाव
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कारणों से पंचायत और नगर निकाय चुनाव टल रहे थे. जबकि पंचायतों का कार्यकाल 2016 में ही खत्म हो गया था. आखिरकार अक्टूबर, 2018 में मोदी सरकार सकुशल पंचायत चुनाव कराने में सफल रही. खास बात रही कि दक्षिण कश्मीर के आतंक प्रभावित 4 जिलों के शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी को 132 वार्डों में से 53 पर जीत मिली. कुल 316 प्रखंडों के 4490 पंचायतों में चुनाव कराए गए.
3- ऑपरेशन ऑल आउट
मोदी सरकार ने घाटी से आतंकियों के सफाए के लिए 2017 में ऑपरेशन ऑल आउट शुरू किया. जिससे भारी संख्या में आतंकी मारे गए. 2017 और 2018 में ढाई-ढाई सौ से ज्यादा आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया. इस ऑपरेशन के जरिए सरकार आतंकी संगठनों की कमर तोड़ने में सफल रही. जिसकी वजह से घाटी में आतंकी वारदातों में पिछले वर्षों की तुलना में कमी देखने को मिली. इस ऑपरेशन का खाका एनएसए अजित डोभाल ने तैयार किया था.
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4- अलगाववादियों की सुरक्षा हटाई
मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर के 18 अलगाववादियों और 155 नेताओं का सुरक्षा कवर हटाने का फैसला किया था. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबी वाहिद मुफ्ती और पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल, आगा सैयद मोस्वी और मौलवी अब्बास अंसारी जैसे नाम शामिल रहे. सरकार के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने यह कदम पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद उठाया था.
5-वार्ताकार भी नियुक्त किया
मोदी सरकार ने कश्मीर समस्या के हल के लिए 2017 में आईबी के पूर्व डायरेक्टर दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार बनाया. 1979 बैच के आईपीएस दिनेश्वर शर्मा आईबी में रहते हुए जम्मू-कश्मीर के मामले देखते रहे थे. इस वजह से मोदी सरकार ने उन्हें वार्ताकार बनाया था. मकसद था कि अगर जम्मू-कश्मीर में सभी पक्षों से बातचीत कर समस्या का हल हो सके तो किया जाए.
केंद्र की तरफ से नियुक्त वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा ने हाल में श्रीनगर में नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से भी मुलाकात की थी. अब तक वह जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं और विभिन्न प्रतिनिधिमंडल से वार्ताएं कर चुके हैं.
6- जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल
मोदी सरकार की ओर से लाया गया यह विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है. राज्यसभा में अभी पारित होना बाकी है. इस विधेयक के तहत जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 3 फीसदी आरक्षण को विस्तार दिया गया है.
जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम सीधी भर्ती, प्रमोशन और विभिन्न श्रेणियों में कई व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आरक्षण देता है, लेकिन इसका विस्तार अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे व्यक्तियों के लिए नहीं था. लेकिन इस बिल के कानून बन जाने के बाद यह लोग भी आरक्षण के दायरे में आ जाएंगे.
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7- पंचायतों के विकास के लिए 3700 करोड़
मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के गांवों के विकास के लिए केंद्र का खजाना खोल रखा है. हाल में गृह मंत्री अमित शाह ने बताया था कि केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए 3700 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं, जिन्हें सीधे पंचायतों को भेजा जा रहा है. ताकि पैसे का पंचायतों के विकास में सही इस्तेमाल हो सके. पहले चरण में 700 करोड़ रुपये पंचायतों तक भेजे जा चुके हैं. 1500-1500 करोड़ रुपये की दो और किश्तें जारी करने की तैयारी है. मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर की 4,483 पंचायतों के लिए मोटी धनराशि देकर उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश कर रही है.
8-घोटाले में महबूबा और फारूक अब्दुल्ला पर कसा शिकंजा
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला पर जांच एजेंसियों ने शिकंजा कसना शुरू किया. हाल में ईडी ने चंडीगढ़ ऑफिस में फारूख अब्दुल्ला से जम्मू-कश्मीर क्रिकेट बोर्ड में हुए 113 करोड़ से अधिक घोटाले में पूछताछ की. वहीं जम्मू-कश्मीर बैंक में सिफारिश के आधार पर हुई 1200 से अधिक नियुक्तियों के मसले पर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
9-हटाए गए जम्मू-कश्मीर बैंक के चेयरमैन
जम्मू-कश्मीर बैंक में फर्जी नियुक्तियों और कथित टेरर फंडिंग के आरोपों में जम्मू-कश्मीर बैंक के चेयरमैन पद से परवेज अहमद को हटा दिया गया. इस मामले की जांच के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने बैंक मुख्यालय पर छापेमारी भी की. सरकार ने परवेज अहमद को जून, 2019 में पद से हटाकर आरके छिब्बर को चेयरमैन की जिम्मेदारी दी.