scorecardresearch
 

राजा ने 2 जी घोटाले में एटर्नी जनरल को लपेटा

पूर्व संचार मंत्री ए राजा ने एटार्नी जनरल जी ई वाहनवती पर निशाना साधते हुए कहा कि तत्कालीन सॉलीसीटर जनरल (एसजी) के तौर पर उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति के मसौदे को मंजूरी दी थी.

Advertisement
X
ए राजा
ए राजा

पूर्व संचार मंत्री ए राजा ने एटार्नी जनरल जी ई वाहनवती पर निशाना साधते हुए कहा कि तत्कालीन सॉलीसीटर जनरल (एसजी) के तौर पर उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति के मसौदे को मंजूरी दी थी जिसके जारी होने से आशय पत्र (एलओआई) की शर्तों को पूरा करने वाली कंपनियों को 2जी लाइसेंस पहले मिले.

Advertisement

वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ पी सैनी के समक्ष कहा, ‘एसजी (वाहनवती) ने इस बात को मंजूरी दी थी कि आशय पत्र की शर्तों को पूरा करने वाले आवेदक को पहले लाइसेंस दिया जाए और इसके लिए चार काउंटर बनाये गये ताकि जो सभी तैयार कागजातों के साथ पहले काउंटर पर आता है उसे लाइसेंस मिलें. मैंने उनकी सलाह मानी और जेल में पहुंच गया. वह बाहर पद का आनंद ले रहे हैं.’

खुद ही 15 मिनट तक दलील पेश करते हुए राजा ने कहा, ‘यदि कोई मंत्री देश के शीर्ष कानून अधिकारी की सलाह में बदलाव करता है तो क्या वह ऐसे ही जाने देगा. वह 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े मामलों में अनेक न्यायालयों में पेश होकर पिछले तीन साल से धन कमा रहे हैं. वह सालीसीटर जनरल से एटार्नी जनरल बन गये.’

Advertisement

राजा ने कहा संशोधित प्रेस विज्ञप्ति का मसौदा उन्होंने तैयार किया था और एसजी ने इसे मंजूर किया और इस तरह इसमें धोखाधड़ी का आरोप साबित नहीं होता. पहले आओ पहले पाओ की नीति में कथित छेड़छाड़ कर वरीयता सूची के साथ समझौता किया गया और पहले आवेदन करने वाली कंपनियों को छोड़ दिया गया क्योंकि वे आशय पत्र की शर्तों को पूरा नहीं कर सकीं.

वरिष्ठ अधिवक्ता कुमार ने कहा कि वाहनवती ने ही अनेक न्यायिक फोरम पर स्पेक्ट्रम आवंटन नीति का बचाव किया और अब मामले में गवाह बनने के बाद घबराहट प्रदर्शित कर रहे हैं. राजा ने कहा कि वाहनवती तीन साल से टीडीसैट और दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दूरसंचार विभाग के वकील के तौर पर इसी प्रेस विज्ञप्ति पर दलील देते आ रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2008 के बाद उन्होंने (वाहनवती ने) इसे सौ बार देखा होगा. क्या वह तब नहीं बोल सकते थे या तब आपत्ति नहीं जता सकते थे? वह कहते आ रहे हैं कि यह सही प्रेस विज्ञप्ति है और अनेक फोरम पर इसका बचाव करते आ रहे हैं.’

राजा पर प्रेस विज्ञप्ति में बदलाव का आरोप है जिसके माध्यम से पहले आओ.पहले पाओ की नीति का स्वरूप बदल दिया गया और इसके नतीजतन टाटा टेलीसर्विसेज तथा स्पाइस कम्युनिकेशन जैसी कंपनियों को छोड़ दिया गया जबकि वे आवेदन की तिथि के अनुरूप तैयार की गयी वरिष्ठता सूची में स्वान टेलीकॉम और यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) प्रा. लि. से आगे थीं.

Advertisement

राजा ने प्रेस विज्ञप्ति में संशोधन को जायज ठहराते हुए कहा कि मंत्री होने के नाते उन्हें एसजी की जरूरी मंजूरी के साथ बदलाव करने का अधिकार था. राजा ने कहा कि उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति पर ‘संशोधित के तौर पर मंजूर’ बतौर दस्तखत कर नोट तैयार किया था और उसे एसजी को भेजा, जो कि मामले में पेश होते आ रहे हैं.

राजा के वकील ने वाहनवती के इस बयान पर भी सवाल उठाया कि उन्हें इस बारे में याद नहीं है कि उन्होंने संशोधित प्रेस विज्ञप्ति को देखा था.

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो देखने के लिए जाएं m.aajtak.in पर.

Advertisement
Advertisement