वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने आम बजट बनाने में स्थापित नियमों का तो पालन किया ही है, साथ ही उन्होंने अपनी पार्टी के मूल राजनीतिक हितों का भी पूरा खयाल रखा है.
देश में तेजी से बढ़ती महंगाई, चौतरफा घोटालों की बाढ़ और सरकार की साख में आई गिरावट के बीच यह बजट इन मुश्किलों से निपटने की थोड़ी उम्मीद जगाता है. बजट में देश के शहरी मध्यवर्ग को एकदम थोड़ी-सी राहत मिलती नजर आ रही है. नए टैक्स स्लैब से आयकर देने वालों को औसतन करीब 2000 रुपये प्रतिमाह की बचत हो सकेगी.
टैक्स संबंधी प्रस्ताव सीधे तौर पर नए 'डायरेक्ट टैक्स कोड' को ध्यान में रखकर तय किए गए हैं. बजट में अन्य वस्तुओं और सेवाओं पर गौर करने पर भी ऐसा ही मालूम पड़ता है.
अर्थव्यवस्था में सुधार अभी भी हकीकत से काफी दूर है. काले धन की जमाखोरी पर रोक के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है. कुल मिलाकर देखें, तो यह एक कर्मठ वित्तमंत्री द्वारा पेश किया गया फीका बजट है.
आर. श्रीनिवासन मेल टुडे के बिजनेस एडीटर हैं