आरुषि केस में सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि नोएडा पुलिस की थ्योरी की जब दोबारा तफ्तीश की गई तो कई अहम और चौंकाने वाले तथ्य समाने आए हैं. मसलन, घर के अंदर है क़ातिल?, ताला कैसे खुला?
आरुषि का कमरे का दरवाजा़ ऐसा था जिसे अंदर से बंद कर दिया जाए तो उसे बगैर चाभी के बाहर से नहीं खोला जा सकता या अंदर मौजूद शख्स ही दरवाजा खोल सकता है. रात के वक्त उसके माता-पिता दरवाजा बंद कर देते थे. लेकिन कत्ल की सुबह जब डॉक्टर दम्पत्ति उठे तो आरुषि के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था. तफ्तीश में पाया गया कि ताला ऐसा कि एक बार बंद हो जाये तो फिर उसे आरुषि ही खोल सकती थी या फिर चाबी से खुल सकता था जो कि तलवार दम्पत्ति के पास होती थी, लेकिन वो दोनों ही सीबीआई को ये नहीं बता पाये कि उस रात दरवाजा उन्होने बन्द किया था या नहीं और सुबह कमरे की चाबी तलवार दम्पति क्यों नहीं खोज पाये.
कत्ल के बाद कमरा दुरुस्त किया गया
सीबीआई ने साफ किया है कि कत्ल के बाद आरुषि के कमरे की तस्वीरें यानी मौका-ए-वारदात क़त्ल को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे कमरे में रखी हर चीज़ को सलीके से रख दिया गया है. क्योकि ये संभव है कि किसी का कत्ल हो और उसके बिस्तर पर सिलवट तक ना आए? जांच में ये भी खुलासा हुआ है कि आरुषि के ठीक पास में रखे बैग और गुलाबी रंग के तकिए पर किसी तरह के खून के निशान भी नहीं मिले हैं. {mospagebreak}
पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने का दबाव
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि डॉक्टर दिनेश तलवार ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेरफेर करने के लिए दबाव भी बनाया था. पोस्टमार्टम में रेप को छुपाने की कोशिशें भी तलवार परिवार की तरफ से की गई. यहां तक कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात के सबूत मिले है कि पोस्टमार्टम के पहले ही आरुषि के गुप्तांगों की सफाई करने की कोशिश भी की गई थी.
राजेश तलवार की गोल्फ़ स्टिक का राज़
एक्सपर्ट के मुताबिक आरुषि और हेमराज का कत्ल गोल्फ की नंबर 5 स्टिक से किया गया. राजेश तलवार नोएडा के गोल्फ क्लब के मेंबर हैं. अपनी सैंट्रो कार में राजेश तलवार गोल्फ की स्टिक रखा करते थे. लेकिन सैंट्रो कार को सर्विसिंग पर ले जाते वक्त राजेश तलवार के ड्राइवर ने गोल्फ स्टिक निकालकर हेमराज के कमरे में रख दीं. जब आरुषि और हेमराज का कत्ल हुआ तो पुलिस ने दोनों के कमरे की तस्वीरें खींची लेकिन उन तस्वीरों में हेमराज के कमरे में सिर्फ एक ही स्टिक रखी नजर आ रही है. तस्वीरों से 5 नंबर की स्टिक गायब थी. पुलिस ने जब 5 नंबर की स्टिक के बारे में राजेश तलवार से सवाल किए तो वो जवाब नहीं दे पाए. गोल्फ की 5 नंबर की स्टिक कुछ महीनो बाद नूपुर तलवार को घर की सफाई के दौरान मिली. लेकिन उस स्टिक को एक साल बाद सीबीआई को सौंपा गया. सीबीआई ने जब स्टिक की जांच करवाई तो पता चला कि स्टिक को पूरी तरह से चमका कर पॉलिश किया गया था.
ज़रा सोचिए घर के बाहर का कोई शख्स इतने इत्मीनान से इन कारगुजारियों को अंजाम दे सकता है. शायद नहीं. ये तो महज़ कुछ वजहें हैं जिन्होने एक बार फिर डॉक्टर दंपत्ति को शक के घेरे में ला खड़ा किया है.