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फरार अभियुक्त अग्रिम जमानत का हकदार नहीं: उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि फरार अभियुक्त, जिसे वांछित अपराधी घोषित कर दिया गया है, को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता है.

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उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि फरार अभियुक्त, जिसे वांछित अपराधी घोषित कर दिया गया है, को अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता है.

न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की खंडपीठ ने दिल्ली के हीरा व्यापारी लावेश की जमानत याचिका खारिज करते हुए अग्रिम जमानत से संबंधित प्रावधान पर यह टिप्पणी की है. न्यायाधीशों ने कहा, ‘आमतौर पर जब अभियुक्त फरार हो और उसे वांछित अपराधी घोषित किया जा चुका हो तो ऐसी स्थिति में उसे अग्रिम जमानत देने का सवाल ही नहीं उठता.’

न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम दोहराते हैं कि जब एक व्यक्ति के नाम वारंट जारी हो गया हो और वह फरार हो या वारंट की तामील से बचने का प्रयास कर रहा हो और उसे अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के तहत वांछित अपराधी घोषित किया जा चुका हो तो वह अग्रिम जमानत की राहत पाने का हकदार नहीं है.’ दिल्ली के हीरा व्यापारी लावेश को उसके भाई की गर्भवती पत्नी विभा की आत्महत्या के मामले में सह अभियुक्त बनाया गया है. विभा का विवाह लावेश के छोटे भाई से 19 जनवरी, 2010 को हुआ था. विभा ने विवाद के दो साल के भीतर ही आत्महत्या कर ली थी.

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विभा की मां ने शिकायत दर्ज करायी थी कि उसकी बेटी को दहेज में पांच लाख रुपए और लाने के लिए परेशान किया जाता था. इसी आधार पर विभा के पति, जेठ लावेश और सास ससुर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.

इस मामले में विभा के पति और सास को गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन लावेश फरार था. उसे बाद में वांछित अपराधी घोषित कर दिया गया था.

लावेश की अग्रिम जमानत की याचिका सत्र अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी थी. इसके बाद उसने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी.

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