भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने वाले महाराष्ट्र के समाजसेवी अन्ना हजारे की ओर से तारीफ पाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इससे आगे काम करने के लिए हौसला अफजाई होती है.
जनता दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम से इतर नीतीश ने कहा कि इससे आगे काम करने के लिए प्रेरणा मिलती है. हालांकि, हजारे द्वारा की गयी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ पर नीतीश कुमार ने कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने के अधिकार पर कानून बनाने के लिए अन्ना हजारे की मांग का समर्थन करते हुए नीतीश ने कहा कि यह तो जयप्रकाश आंदोलन की मुख्य मांग थी जिसे जनता सरकार ने अव्यावहारिक करार दे दिया था. यह मांग 30 वर्षों बाद फिर उठी है, इस पर चर्चा होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता सार्वभौम है, जब जनप्रतिनिधि अपेक्षा पर खरे नहीं उतरते तो उन्हें हटाने के लिए इस प्रकार के कानून की दरकार है. हमारे देश का लोकतंत्र परिपक्व हो रहा है, इसलिए इस प्रकार की मांगे उठ रही है.
नीतीश ने कहा कि बिहार सरकार ने अपनी सीमा के दायरे में स्थानीय नगर निकायों में ऐसा अधिकार देने के लिए विधेयक विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित कराया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे जो भी हो, जहां भी हो, अपने अपने तरीके से भ्रष्टाचार के खिलाफ पहल करनी चाहिए यही वक्त की मांग है. बिहार सरकार ने विशेष न्यायालय कानून लागू कराकर और लोक सेवाओं का अधिकार विधेयक पारित कराकर भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस शुरूआत की है.
उन्होंने कहा कि लोक सेवाओं का अधिकार कानून वह 15 अगस्त तक लागू करा देंगे. भ्रष्टाचार के खिलाफ देश की जनता मुखर हो चुकी है। मीडिया ने भी इसे प्रमुख मुद्दा माना है.
केंद्र की राजनीति में जाने के सवाल पर नीतीश ने कहा कि जनता ने बिहार का विकास करने के लिए बहुमत दिया है, केंद्र में जाने का कोई मतलब नहीं है.