पिछले कुछ महीनों में सामने आये कथित घोटालों को लेकर नियंत्रक एवं महालेख परीक्षक (कैग) की अनेक रिपोर्ट से आजिज आ चुकी सरकार ने कहा कि वह कैग को बहुसदस्यीय संस्था बनाने के प्रस्ताव पर सक्रियता से विचार कर रही है.
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री नारायणसामी ने कहा कि कैग बहुत ‘उतावले’ हो गये हैं और वह चाहते हैं कि सभी संवैधानिक संस्थाएं उनके मानदंडों के भीतर काम करें.
उन्होंने कहा, ‘इस बारे में कैग को बहु-सदस्यीय संस्था बनाने के बारे में सक्रियता से विचार चल रहा है. सरकार इस पर सक्रियता से विचार कर रही है.’ पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक वीके शुंगलू ने इस तरह का सुझाव दिया था जिस बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में नारायणसामी ने उक्त प्रतिक्रिया दी.
शुंगलू ने सुझाव दिया था, ‘तीन सदस्यीय संस्था अपने संचालन में और अधिक पारदर्शिता बरतेग. एक सदस्य को पेशेवर लेखा-परीक्षण योग्यता वाला, चार्टर्ड अकाउंटेंट या इसके समतुल्य होना चाहिए।.’
उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे पत्र में कहा था, ‘इसे भारतीय लेखा-परीक्षण और लेखा सेवा अधिकारी को तीन सदस्यों की संस्था से हटाने के तौर पर नहीं देखना चाहिए जिनका वित्त, लेखा का तथा इन क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय कार्यप्रणाली का अनुभव रहा हो.’
मौजूदा कैग विनोद राय की ओर से अनेक मौकों पर की गयी टिप्पणियों के संदर्भ में मंत्री ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस देश में संवैधानिक संस्था सरकार के फैसलों पर ही टिप्पणी कर रही है.’
नारायणसामी ने कहा, ‘हाल ही में कैग की ओर से ऐसे बयान आ रहे हैं जो अनुचित हैं. मेरी राय है कि यह अनुचित और अनावश्यक हैं. मुझे लगता है आजकल राय अधिक उतावले हो गये हैं. मैं ऐसा महसूस करता हूं.’
उन्होंने कहा, ‘ऐसा कहकर मैं आलोचना नहीं कर रहा. मैं यह बता रहा हूं कि सरकार में सभी को उन्हें दिये मानदंडों के भीतर काम करना चाहिए.’
मंत्री ने कहा कि कैग का काम यह अध्ययन करना है कि भारत सरकार की अनेक एजेंसियां उचित तरह से व्यय कर रहीं हैं या नहीं.
लोकसभा में पुडुचेरी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री ने कहा, ‘मेरी राय में कैग अपने अधिकार क्षेत्र से परे जाकर काम कर रहे हैं. यह मेरी निजी राय है, आधिकारिक नहीं. कोई भी संवैधानिक संस्था हो, कैग हो, सीवीसी हो या चुनाव आयोग हो या कोई मंत्री हो, हमें संविधान की रूपरेखा के दायरे में भारत सरकार के बनाये नियमों के तहत काम करना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि कैग से मेरा अनुरोध है कि उन्हें इन्हीं मानदंडों में, संवैधानिक रूपरेखा के भीतर मिली हुई जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए अन्यथा बहुत अन्याय होगा.
2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितताओं का दावा करने वाली कैग की रिपोर्टों के बारे में पूछे जाने पर नारायणसामी ने कहा, ‘क्या कोई अनियमितता हुई या कोई भ्रष्टाचार हुआ है, इस बारे में जांच-पड़ताल तय तंत्र करेगा और वह संसद है.’
उन्होंने कहा, ‘कैग की रिपोर्ट मसौदा रिपोर्ट है. इसे लोकसभा अध्यक्ष के सामने पेश किया जाता है. लोकसभा अध्यक्ष इसे लोक लेखा समिति को भेजेंगी. पीएसी कैग की टिप्पणियों पर अध्ययन करेगी और अपने निष्कर्ष बताएगी. केवल कैग ने कहा इसलिए उसे अंतिम माना जाए, ऐसा नहीं होता.’
मंत्री ने कहा कि कैग की रिपोर्ट पर पड़ताल पीएसी करती है. उन्होंने कहा, ‘वह संसद की समिति है. वह रिपोर्ट देगी और उसके बाद केवल सरकार कार्रवाई कर सकती है. सरकार केवल कैग की रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं करेगी.’
नारायणसामी ने कहा, ‘कैग द्वारा हजारों रिपोर्ट जमा की गयी हैं. उन्होंने अनेक राज्यों के मुख्यमंत्रियों, राज्यों के मंत्रियों, अनेक राज्यों और केंद्र के अधिकारियों को दोषारोपित किया है. अगर हम केवल कैग रिपोर्ट को अंतिम मान लें तो कोई मुख्यमंत्री अपने पद पर नहीं रह पाएगा.’
उन्होंने अपनी पार्टी के नेता दिग्विजय सिंह की इस मांग पर समर्थन जताया कि कैग के दफ्तर से कथित तौर पर रिपोर्ट लीक होने पर रोक लगनी चाहिए.
नारायणसामी ने कहा, ‘पूरा मामला यह है कि रिपोर्ट जमा होने से पहले सार्वजनिक हो जाती हैं. ये किसकी हिफाजत में होती हैं? ये सार्वजनिक कैसे हो जाती हैं? इसके लिए कौन जिम्मेदार है?’