आदर्श हाउसिंग सोसाइटी मुम्बई के कोलाबा क्षेत्र में भूमि के टुकड़े के लिए अनुरोध करने के लगभग 11 वर्ष बाद पर्यावरण मंत्रालय ने तटवर्ती नियमों का उल्लंघन करने के लिए इस अवैध इमारत को गिराने के निर्देश दिये.
आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला मामले में महत्वपूर्ण घटनाक्रम इस प्रकार है-
जुलाई 1999: आदर्श सोसाइटी ने कोलाबा क्षेत्र में भूमि के लिए सरकार से सम्पर्क किया.
9 जुलाई 1999: सरकारी प्रस्ताव के तहत सोसाइटी को प्लाट आवंटित किया गया.
4 अक्तूबर 2004: मुंबई के जिलाधिकारी ने भूमि का कब्जा सोसाइटी को सौंपा.
27 अक्तूबर 2009: पश्चिमी नौसेना कमान कोआपरेटिव के उप पंजीयक से सोसाइटी की विस्तृत जानकारी मांगी.
16 सितंबर 2010: आदर्श सोसाइटी एमएमआरडीए से कब्जा प्रमाणपत्र मिला.
25 अक्तूबर 2010: नौसेना ने इस बात की पुष्टि की कि उसने सुरक्षा कारणों से आदर्श सोसाइटी पर विरोध जताया है.
28 अक्तूबर 2010: मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री की सास और अन्य रिश्तेदारों के सोसाइटी में फ्लैट हैं.
31 अक्तूबर 2010. बृहन्मुम्बई बिजली आपूर्ति एवं परिवहन ने कब्जा प्रमाणपत्र मांगते हुए नोटिस जारी किया.
3 नवंबर 2010: एमएमआरडीए ने आदर्श सोसाइटी का कब्जा प्रमाणपत्र रद्द किया. बेस्ट ने सोसाइटी की विद्युत आपूर्ति जबकि बीएमसी ने पानी की आपूर्ति बंद की. आदर्श सोसाइटी ने कहा कि वह उच्च न्यायालय जाएगा.{mospagebreak}
9 नवंबर 2010: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का इस्तीफा मंजूर.
11 नवंबर 2010: पृथ्वीराज चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने.
22 नवंबर 2010: आदर्श सोसाइटी कब्जा प्रमाण पत्र रद्द करने तथा पानी और बिजली आपूर्ति काटे जाने के विरुद्ध उच्च न्यायालय पहुंचा.
21 दिसंबर 2010: उच्च न्यायालय ने कहा कि यह सीधे सीधे धोखेबाजी का मामला है.
23 दिसंबर 2010: उच्च न्यायालय आदर्श सोसाइटी को अंतरिम राहत देने से इंकार करने के साथ ही मामले की सुनवायी एक महीने के लिए स्थगित की.
16 जनवरी 2011: केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सिफारिश की कि इमारत को तीन महीने के अंदर गिरा दिया जाए.