महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि विवादास्पद आदर्श सोसाइटी मामले में साफ तौर पर इसके अधिकारियों ने तिकड़मबाजी की है. इसमें उन सभी लोगों को तोहफे के तौर पर फ्लैट दिए गए जिन्हें फाइल आगे बढ़ानी थी.
सख्त टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि लगता है राज्य सरकार ने पूर्व थलसेना प्रमुख दीपक कपूर और निर्मल चंद्र विज को खुश करने के लिए नियमों कायदों को दरकिनार कर दिया. इन्हें शुरू में फ्लैट नहीं दिया गया था क्योंकि वे पिछले 15 साल से राज्य के निवासी नहीं थे लेकिन बाद में अपवाद के मामलों के तौर पर उन्हें फ्लैट मिल गए.
न्यायाधीश बी एच मर्लापल्ले और यू डी साल्वी की एक खंडपीठ ने यह भी पूछा कि राज्य सरकार ने दोषी के खिलाफ प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की.
अदालत ने यह टिप्पणी आदर्श हाउसिंग सोसाइटी की ओर से दायर की गयी याचिका की सुनवाई करते वक्त की. इसमें कब्जा प्रमाण पत्र को रद्द करने और नगर निकायों की ओर से बिजली और पानी की आपूर्ति बंद किए जाने के फैसले को चुनौती दी गयी थी.
अदालत ने कहा कि आपने सोसाइटी के खिलाफ तो कार्रवाई की पर सरकारी अधिकारियों का क्या? अब तक प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गयी?
सोसाइटी के दस्तावेजों के अध्ययन के बाद अदालत ने कहा कि यह साफ तौर पर कलेक्टॉरेट, राज्य के राजस्व विभाग और शहरी विकास विभाग की ओर से की गयी तिकड़मबाजियों का मामला है. उच्च न्यायालय ने कहा कि जिन्हें भी फाइल मंजूर करनी थी उन्हें तोहफे के तौर पर फ्लैट दिए गए.