घोटालों के आरोपों में घिरे बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी अब पार्टी के भीतर भी हाशिए पर चले गए हैं. दरअसल, बीजेपी ने केंद्र सरकार के खिलाफ 21 नवंबर को देशव्यापी आंदोलन का फैसला किया.आंदोलन में अलख जगाने काम अलग-अलग सूबों में अलग-अलग नेता करेंगे. गडकरी को दी गई है अरुणाचल प्रदेश की जिम्मेदारी.
भ्रष्टाचार और एफडीआई पर यूपीए सरकार की नीति का विरोध करने के लिए देश भर में बीजेपी होने वाली रैलियों और सभाओं में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली मुंबई या अहमदाबाद में नहीं होंगे. पार्टी उन्हें दूर उत्तर पूर्व के राज्य अरुणाचल प्रदेश भेजेगी ताकि वो मीडिया और आलोचकों की नजरों से दूर ही रहें.
संसद के शीत सत्र से ठीक एक दिन पहले बीजेपी सड़कों पर उतर कर सरकार के खिलाफ माहौल गरमाना चाहती है, ताकि संसद में सरकार पर दबाव बनाया जा सके.
एफडीआई और भ्रष्ट नीतियों के खिलाफ सड़क के रास्ते संसद तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए बीजेपी के देशव्यापी अभियान में राजनाथ सिंह लखनऊ, रविशंकर प्रसाद जयपुर, शाहनवाज हुसैन गोवा, विजय गोयल और मुख्तार अब्बास नकवी दिल्ली, गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र में रैलियों का नेतृत्व करेंगे.
सभी राज्यों की राजधानियों और बड़े शहरों में रैलियां होंगी लेकिन पार्टी ने अपने अध्यक्ष को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता चेन्नई या अहमदाबाद के बजाय अरुणाचल क्यों भेजा इस पर पार्टी का तर्क ये है.