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‘अनैतिक’ शासन से जन आक्रोश बढ़ा: आडवाणी

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कांग्रेस नेतृत्व पर सीधा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि उसने जिस तरह का ‘अनैतिक’ नेतृत्व दिया है वह राजनीति के प्रति जनता के आक्रोश का मुख्य कारण है.

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लालकृष्ण आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कांग्रेस नेतृत्व पर सीधा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि उसने जिस तरह का ‘अनैतिक’ नेतृत्व दिया है वह राजनीति के प्रति जनता के आक्रोश का मुख्य कारण है. उन्होंने कहा कि किसी एक पार्टी और एक सरकार से देश को इतना नुकसान पहले कभी नहीं हुआ.

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आडवाणी ने मंगलवार से शुरू हो रही अपनी 38 दिवसीय जन चेतना यात्रा से पहले यहां संवाददाताओं से कहा, ‘पिछले दिनों जो नेतृत्व देश को मिला है, खासकर एक साल से, वह जनता के आक्रोश का मुख्य कारण है.’
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उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार, सत्ता बचाने के अनैतिक आचरण, मंहगाई और कालाधन आदि से जनता का यह आक्रोश बढ़ता गया. भाजपा नेता के अनुसार, ‘जनता के बढ़ते आक्रोश का मुख्य कारण संप्रग का नेतृत्व है. उनके नेतृत्व की कमी के कारण सारी राजनीतिक व्यवस्था के प्रति अनास्था पैदा हो रही है.

संप्रग के नेतृत्व के कारण लोकतंत्र को भी हानि हो हुई है.’ कांग्रेस पर प्रहार जारी रखते हुए उन्होंने कहा, ‘किसी एक पार्टी और एक सरकार के कारण देश को इतना नुकसान पहले कभी नहीं हुआ.’

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आडवाणी ने कांग्रेस नेतृत्व पर आरोप लगाया कि संभवत: कुछ नामों को सार्वजनिक होने से बचाने के लिए सरकार विदेश में कालाधन रखने वाले लोगों के नाम उजागर करने से हिचकिचा रही है.

काले धन की उगाही के लिए सरकार की ओर से अब तक किए गए कार्यो को बताने के लिए इस विषय पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हुए उन्होंने कहा, ‘सुना है कि सरकार विदेशी सरकारों से दोहरे कराधान संबंधी जो समझौते कर रही है वह इस तरह के हैं कि 2012 तक विदेशों में अवैध तरीके से धन रखने वालों के नाम उजागर नहीं होने पाएं.

उन्होंने कहा कि विदेशों में काला धन रखने वाले कुछ लोगों के नाम सरकार के पास हैं लेकिन ‘कहा जा रहा है कि इनमें से कुछ नाम ऐसे हैं जिन्हें सार्वजनिक करने में उसे संकोच है. मैं नहीं जानता, लेकिन सरकार के ऐसे आचरण से राजनीति और लोकतंत्र के प्रति लोगों में अनास्था पैदा हो रही है.’

अपनी जन चेतना यात्रा के मुद्दों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि वह कालेधन की वापसी को मुख्य विषय बनाएंगे. उन्होंने दावा किया कि भारत के लोगों का विदेशों में इतना अधिक कालाधन जमा है कि अगर वह वापस ले आया जाए तो देश के विकास के लिए संसाधनों की कमी ही नहीं रहेगी.

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भ्रष्टाचार के विरूद्ध अन्ना हजारे के आंदोलन का सीधा उल्लेख किए बिना भाजपा नेता ने कहा, ‘साधुवाद के पात्र हैं समाज के वे संगठन जिन्होंने भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दों पर जनता में चेतना पैदा की. समाज के ऐसे संगठनों की अपनी उपयोगिता है, लेकिन राजनीति और लोकतंत्र के स्वास्थ्य को ठीक करने की प्रमुख जिम्मेदारी राजनीतिक दलों की है.’

नोट के बदले वोट कांड का कथित पर्दाफाश करने वाले भाजपा के पूर्व सांसदों और अपने एक प्रमुख सहयोगी को जेल में डाले जाने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि गलत कार्यो का भंडाफोड़ करने वालों को संरक्षण देने संबंधी विधेयक संसद में पेश कर दिए जाने के बावजूद ऐसा किया गया.

उन्होंने कहा कि परमाणु समझौते के मुद्दे पर वाम दलों द्वारा सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के बाद कांग्रेस ने संप्रग-1 सरकार का विश्वास मत हासिल करने के लिए जो रास्ता अपनाया, उसके बाद वह किसी तरह की नैतिकता का दावा नहीं कर सकती.

नोट के बदले वोट कांड को उन्होंने भारत की राजनीति का ऐसा मोड़ बताया जिससे लोकतंत्र की साख गिरी. उन्होंने इसे संप्रग नेतृत्व के ‘नैतिक गिरावट के लक्षण’ बताया. आडवाणी ने कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व ही नहीं बल्कि आजादी के बाद के नेतृत्व को भी निशाना बनाया और कहा कि वह अपेक्षा पर खरा नहीं उतरा.

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उन्होंने कहा, ‘स्वतंत्रता के बाद हमने जैसा शासन संभाला वह कोई अच्छा शासन नहीं था. उसमें कमियां थीं, खासकर, विकास की दृष्टि से. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश को सुशासन और विकास की आवश्यकता थी, जो उस समय का नेतृत्व नहीं दे पाया.

लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिवस और जन्म स्थली सिताब दियारा से मंगलवार शुरू हो कर 23 राज्यों और चार केन्द्र शासित क्षेत्रों के गुजर कर 20 नवंबर को दिल्ली में संपन्न होने वाली अपनी जन चेतना यात्रा के बारे में उन्होंने कहा कि इस बार वह अच्छी राजनीति, ईमानदार राजनीति, लोकतांत्रिक राजनीति, सुशासन और कालाधन जैस मुद्दों पर जन चेतना जगाने का प्रयास करेंगें.

उन्होंने कहा, लेकिन उनका मुख्य जोर विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन को देश वापस लाने पर होगा. भाजपा नेता ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे सरकार पर इस बात का दबाव बनाएं कि कालाधन रखने वालों की जो सूची सरकार के पास है उसे सार्वजनिक किया जाए.

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