भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के प्रति संकल्प दोहराते हुए कहा है कि उनके जीवन में ‘समाधान’ तब तक नहीं हो सकता जब तक ‘रामनगरी’ में भव्य मंदिर की स्थापना नहीं हो जाती.
आडवाणी ने अयोध्या में आयोजित जनसभा में कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को सोमनाथ मंदिर की तरह अयोध्या में भी मंदिर के निर्माण के लिये पहल करनी चाहिये थी. उन्होंने कहा, ‘मेरे राजनीतिक जीवन में तब तक समाधान नहीं हो सकता जब तक जिस स्थान पर भगवान राम की मूर्ति स्थापित है, वहां एक भव्य मंदिर नहीं बन जाता. मुझे विश्वास है कि देश में हर राम भक्त चाहेगा कि वह दिन जल्द से जल्द आए कि जिस जगह रामलला विराजमान हैं, वहां मंदिर बन जाए. राम मंदिर निर्माण नहीं हो जाने तक हमारी कोशिशें जारी रहेंगी.’ आडवाणी ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के सम्बन्धित तीनों न्यायाधीशों ने अपने निर्णय में माना है कि अयोध्या में जिस जगह रामलला विराजमान हैं वही रामजन्म स्थल है.
उन्होंने कहा कि केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपानीत सरकार के कार्यकाल में अयोध्या विवाद के तीन समाधान दिखाई पड़ते थे, पहला, केन्द्र में भाजपा की सरकार हो और इस बात का निर्णय संसद से कराया जाए. दूसरा, अदालत निर्णय करे और तीसरा, हिन्दू-मुस्लिम नेता मिल बैठकर फैसला करें.
आडवाणी ने कहा कि हिन्दू मुस्लिम बैठकर विवाद का फैसला करें, इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. उम्मीद है कि दूसरा और तीसरा समाधान मिलाकर काम हो जाएगा. बिना किसी टकराव और कटुता के यह काम होगा. दुनिया के राम भक्त देखेंगे कि राम मंदिर वहीं बनेगा, जहां उनकी मूर्ति है. वह इसी आशा के साथ यहां आए हैं. उन्होंने कहा कि ‘सोमनाथ’ तथा ‘पिलग्रिमेज टू फ्रीडम’ पुस्तकें पढ़ने के बाद उन्हें मालूम हुआ कि राम मंदिर निर्माण को लेकर जिस तरह की समस्या पैदा हुई, ऐसी ही समस्या पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में सोमनाथ के मंदिर को लेकर भी उत्पन्न हुई थी.
आडवाणी ने कहा, ‘मुझे पता लगा कि आक्रमणकारियों ने सोमनाथ का जो मंदिर ध्वस्त किया था उसे फिर से बनाए जाने का निर्णय केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने किया था, जिसकी अध्यक्षता पंडित नेहरू ने की थी और उस बैठक में मौलाना मौजूद थे. साथ ही सरदार पटेल तथा के. मुंशी उस प्रस्ताव को रखने वाले अग्रणी लोगों में से थे.’
उन्होंने कहा, ‘हिमाचल प्रदेश में जनसंघ की एक बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया था. हमारा मानना था कि जैसा रवैया उस वक्त पंडित नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के बारे में अपनाया था. वहीं रुख तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को अयोध्या के मामले में भी अपनाना चाहिये था.’
आडवाणी ने कहा कि राम मंदिर के लिये निकाली गयी रथयात्रा ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया. उन्होंने कहा, ‘आडवाणी ने अयोध्या के लिये कुछ नहीं किया. अयोध्या ने मेरे लिये बहुत कुछ किया. अयोध्या ने मुझे सांस्कृतिक राष्ट्रधर्म सिखाया. किसी भी विषय पर देश को जाग्रत करने के लिये रथयात्रा से बेहतर कोई रास्ता नहीं हो सकता.’
आडवाणी ने विदेशी बैंकों में जमा कालेधन को भारत वापस लाने पर जोर देते हुए कहा कि अगर सरकार तथा नेता मिलकर रिश्वत ना लेने और ना ही देने एवं कालेधन को वापस लाकर गांवों का विकास करने का संकल्प लें तो देश की गरीबी मिट जाएगी. उन्होंने कहा कि विदेशी बैंकों में मुल्क का 25 लाख करोड़ रुपया रखा है.
अगर यह देश में आ जाए तो देश का पूरा नक्शा बदला जा सकता है. उच्चतम न्यायालय द्वारा सेना प्रमुख उम्र विवाद तथा 2जी मामले में केन्द्र सरकार को झटके दिये जाने पर भाजपा नेता ने कहा कि यह सम्भवत: पहली ऐसी सरकार है, जिसे लगभग हर दिन न्यायालय की डांट सुननी पड़ती है. उन्होंने केन्द्र सरकार की नाकामियां गिनाते हुए कहा कि घोटालों के कारण दुनिया में हमारी इतनी बदनामी हुई है. इतने घोटाले हुए कि महंगाई चरम पर पहुंचे गयी. वाजपेयी सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण रखा था.
आडवाणी ने कहा कि केन्द्र में भाजपा के शासनकाल में कच्छ में भूकम्प और पोखरण परमाणु परीक्षण के कारण अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद महंगाई नहीं बढ़ने दी. यह स्थिति आज इसलिये नहीं हो सकती क्योंकि सरकार भ्रष्टाचार को रोक नहीं पा रही है. मंत्री जेल जा रहे हैं.