भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि उचित विचार-विमर्श के बाद ही नये राज्यों के गठन के बारे में फैसला किया जाना चाहिये और इसमें कोई जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिये. आडवाणी ने उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में बांटने के मायावती सरकार के प्रस्ताव पर कोई प्रतिबद्धता नहीं जतायी.
आडवाणी ने उत्तराखंड रवाना होने से पहले कहा, ‘उनके (मायावती के) प्रस्ताव पर मैं हां या ना नहीं कहूंगा. इस मुद्दे पर अच्छी तरह से सोच-विचार और चर्चा की जानी चाहिये.’ उन्होंने कहा, ‘मैं इस बारे में कोई कयास नहीं लगाउंगा कि इस प्रस्ताव के पीछे उनका क्या विचार है. नये राज्य का गठन जल्दबाजी में नहीं हो सकता.’ उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने प्रस्ताव रखा है कि राज्य को चार हिस्सों में बांटकर पूर्वांचल, बुंदेलखंड, अवध प्रदेश और पश्चिम प्रदेश का गठन किया जाये.
आडवाणी ने कहा कि राज्यों का पुनर्गठन सबसे पहले वर्ष 1954 में भाषाई आधार पर हुआ था. इसके बाद बिहार में से झारखंड, उत्तर प्रदेश में से उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में से छत्तीसगढ़ का गठन हुआ.
उन्होंने कहा, ‘मुझे लगा कि (नये राज्यों के गठन की मांग) जायज है क्योंकि जिन तीन राज्यों का भाषायी आधार पर गठन किया गया, उनका क्षेत्र काफी बड़ा था.’
आडवाणी ने कहा कि वर्ष 1998 में भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में इस तरह की प्रतिबद्धता जाहिर की गयी थी. उन्होंने कहा, ‘जब मैं गृह मंत्री था तब इन तीन राज्यों का गठन हुआ. हमने बिना किसी दिक्कत के नये राज्य बनाये.’ आडवाणी ने कहा कि मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श करने के बाद ही उत्तर प्रदेश का विभाजन होना चाहिये.
भाजपा के वरिष्ठ नेता की यात्रा 37वें दिन में प्रवेश कर गयी है.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के अलावा कालाधन और विशेषकर स्विस बैंकों सहित विदेशों बैंकों में जमाकर रखी गयी बडी राशि ने देश की जनता को काफी ज्यादा विचलित कर दिया है.
आडवाणी ने कहा, ‘मेरी यात्रा के दौरान मैंने खुद इस आक्रोश को महसूस किया है.’ उन्होंने कहा, ‘अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस जैसे ताकतवर देश ही नहीं, बल्कि फिलिपीन, पेरू, दक्षिण कोरिया और नाइजीरिया जैसे छोटे देशों ने भी विदेशी बैंकों में जमा कालेधन को हासिल करने के लिये कड़े और प्रभावी कदम उठाये हैं. लेकिन संप्रग सरकार की प्रतिक्रिया काफी उपेक्षापूर्ण रही है. यह निंदनीय है.’
आडवाणी ने कहा, ‘संप्रग सरकार उन लोगों के नामों का खुलासा करने के प्रति क्यों अनिच्छुक है, जिनके संबंध में उसने विदेशी बैंक खातों से बकाया कर हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.