प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर एक बार फिर निशाना साधते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि वह सबसे कमजोर प्रधानमंत्री हैं जिसके चलते उनकी सरकार में ‘कई अंग निष्क्रिय होने के बाद अंत नजदीक’ होने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
कमजोर व अनिर्णायक हैं प्रधानमंत्री: आडवाणी
इससे दो दिन पहले प्रधानमंत्री ने आडवाणी से अपने खिलाफ कठोर भाषा का इस्तेमाल नहीं करने के लिए कहा था.
आडवाणी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि हमें कड़े शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. मैंने क्या कठोर शब्द कहे? मैंने केवल इतना कहा कि जवाहरलाल नेहरू से लेकर सभी प्रधानमंत्रियों में मनमोहन सिंह सबसे कमजोर हैं. यह एक राजनीतिक टिप्पणी है. इसमें कठोरता कहां है?
कड़े शब्दों से बचें आडवाणीः मनमोहन सिंह
अपने बयान को वापस नहीं लेने पर जोर देते हुए भाजपा नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री का कहना है कि वह आहत हुए हैं क्योंकि मैंने उन्हें सबसे कमजोर प्रधानमंत्री कहा. अगर वास्तविकता को वैसे ही बयां करना अनुचित है तो मैं दोषी हूं लेकिन मैंने नहीं बल्कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि 2जी घोटाले से बचा जा सकता था और यदि मनमोहन सिंह जी ने सक्रियता दिखाई होती तो राजकोष को होने वाले 1.76 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित नुकसान को रोका जा सकता था.
कांग्रेस पर भी इतना ही कड़ा रुख अख्तियार करते हुए पूर्व उप प्रधानमंत्री ने कहा कि हर दिन गुजरने के साथ संप्रग सरकार में अंत नजदीक होने के सभी लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जिसका नेतृत्व नाम से तो मनमोहन सिंह कर रहे हैं लेकिन नियंत्रण सोनिया गांधी कर रहीं हैं.
आडवाणी को मनमोहन पर आता है तरस
आडवाणी ने कहा कि संप्रग के कई पूर्व मंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों में तिहाड़ में हैं, अन्य वहां जाने के लिए कतार में खड़े हैं. प्रधानमंत्री की खुद की पार्टी के वरिष्ठ मंत्री सार्वजनिक रूप से एक दूसरे की आलोचना कर रहे हैं और विरोधाभासी बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी के सबसे ताकतवर महासचिव रोज ऐसे बयान देते हैं जिनका नियमित रूप से पार्टी के अन्य नेताओं को खंडन करना पड़ता है. किसी रोगी में इस तरह की स्थिति को कई अंगों का निष्क्रिय होना कहा जाता है. आडवाणी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस जैसे संप्रग के सहयोगी दल मनमोहन सिंह सरकार से दूरी बना रहे हैं, जिसकी अलोकप्रियता बढ़ती जा रही है. हालांकि वे इस वक्त अपनी हताशा को सार्वजनिक नहीं करना चाहते.
लालकृष्ण आडवाणी की जन चेतना यात्रा शुरू
आडवाणी ने गुरुवार को कहा था कि तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी घोटालों को लेकर चुप क्यों हैं? वहीं आज उन्होंने कहा कि वह ममता के बेबाक बयानों की कमी महसूस कर रहे हैं. भाजपा नेता ने कहा कि संप्रग के भीतर मतभेदों के मूल में देश की सुनियोजित लूट के खिलाफ जनता का बढ़ता गुस्सा है. उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को ‘विभाजित प्रगतिशील गठबंधन’ कहा जाना चाहिए.
आडवाणी ने कहा कि 2जी, राष्ट्रमंडल, आदर्श, एयर इंडिया और कई अन्य घोटाले इस बात के उदाहरण हैं. दुनिया में भारत की छवि इस समय सबसे निचले पायदान पर है क्योंकि शासन चला रहा गठबंधन भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है.
अपनी पार्टी के नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों पर आडवाणी ने कहा कि जहां तक हमारी पार्टी की बात है हम भ्रष्टाचार के आरोपों पर कभी नरम नहीं रहे. जैसे ही लोकायुक्त की रिपोर्ट आई हमने उनसे इस्तीफा देने को कहा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की छवि सरकार के उच्च स्तरों पर भारी भरकम भ्रष्टाचार करने वाली पार्टी की बनने के चलते राकांपा के गुस्से के कारण केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने सोनिया गांधी के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक के खिलाफ ताजा बयान दिया है.
स्विस बैंक में कथित तौर पर जमा अनुमानित 25 लाख करोड़ रुपये के काले धन के मुद्दे पर भाजपा नेता ने उम्मीद जताई कि सरकार काले धन को रोकने और विदेशी बैंकों से इसे वापस लाने के लिहाज से अपने कदम स्पष्ट करेगी.