मृदुभाषा और नम्रता के लिए दुनियाभर के नेताओं की प्रशंसा पाने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश की राजनीति में कटु शब्दों के इस्तेमाल पर खिन्नता प्रकट करते हुए नेताओं को याद दिलाया कि ऐसा करना हमारी उदार और सहनशील परंपरा के विरुद्ध है.
साफ और दो टूक बात कहने वाले मनमोहन सिंह ने भारत की आजादी की 63वीं वषर्गांठ के मौके पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, ‘‘लोकतंत्र में, एक प्रगतिशील समाज में आलोचना का अपना स्थान है, पर आलोचना मर्यादा की सीमा में होनी चाहिए.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस में परस्पर विरोधी विचारधाराओं के लिए गुंजाइश है और होनी भी चाहिए. मैं सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध करना चाहूंगा कि वे इस विषय पर विचार करें.’’ उन्होंने कहा कि मैं एक बात और कहना चाहता हूं जो हमारी संस्कृति और गौरवशाली परंपराओं से जुड़ी हुई है. पिछले कुछ दिनों में हमारी राजनीति में कठोर बातों और कड़वे शब्दों का इस्तेमाल बढ़ गया है. यह हमारी उदारता, विनम्रता और सहनशीलता की परंपरा के विरुद्ध है.{mospagebreak}गौरतलब है कि पिछले दिनों भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं और उन पर कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी उन्हें मनोवैज्ञानिक चिकित्सालय में भर्ती कराने की बात कही थी. यहीं नहीं पूर्व खेल मंत्री मणिशंकर अय्यर ने राष्ट्रमंडल खेलों के बारे में कहा था कि ये सफल हों तो उन्हें खुशी नहीं होगी. वहीं राजद नेता लालू प्रसाद ने भाजपा नेता वरुण गांधी के कथित नफरती भाषणों पर कहा था कि अगर वह गृह मंत्री होते तो उन पर बुलडोजर चलवा देते.