अब तक यह माना जाता था कि राहुल द्रविड़ जब भी शतक बनाएंगे तब भारत या तो मैच जीतेगा या फिर उसे ड्रा कराने में सफल रहेगा लेकिन इंग्लैंड ने लॉर्ड्स में पहले टेस्ट मैच में 196 रन से जीत दर्ज करके श्रीमान भरोसेमंद से जुड़ा यह मिथक तोड़ दिया.
द्रविड़ ने मैच की पहली पारी में नाबाद 103 रन बनाये थे. इससे पहले पिछले 13 साल में द्रविड़ ने जब भी शतक लगाया था तब भारत को हार नहीं मिली थी. उनका शतक हमेशा टीम के लिये शुभ साबित हुआ था लेकिन लॉर्ड्स में अन्य बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन के कारण इस बार द्रविड़ का सैकड़ा भारत को हार से नहीं बचा पाया.
इससे पहले अक्तूबर 1998 में जिम्बाब्वे के खिलाफ हरारे में द्रविड़ की 118 रन की पारी बेकार गयी थी. भारत उस मैच में 235 रन के लक्ष्य का पीछा करते 61 रन से हार गया था. द्रविड़ ने तब पहली पारी में शतक जमाया था.
इंग्लैंड के खिलाफ लार्डस में ही 1996 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले द्रविड़ ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जोहानिसबर्ग में अपना पहला शतक जमाया था. उनकी 148 रन की पारी की बदौलत भारत यह टेस्ट ड्रा कराने में सफल रहा था.
वैसे अब तक द्रविड़ ने जो 33 शतक लगाये हैं उनमें से 14 शतक भारत की जीत के काम आये हैं. उन्होंने 17 शतक ड्रा मैच में लगाये जबकि दो शतक भारत की हार नहीं टाल पाये.
द्रविड़ ने दो अवसरों पर मैच की दोनों पारियों में सैकड़े जड़े. इनमें से पाकिस्तान के खिलाफ कोलकाता में 2005 में खेला गया मैच भारत ने जीता था जबकि इससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ 1999 में हैमिल्टन टेस्ट ड्रा रहा था.
द्रविड़ के साथ ही 1996 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले गांगुली ने अपने करियर में 16 शतक लगाये जिनमें चार भारत की जीत के काम आये जबकि बाकी 12 अवसरों पर मैच ड्रा रहा.
इसी तरह से विश्वनाथ के 14 शतक में से चार ने भारत को जीत दिलायी जबकि अन्य दस ड्रा के काम आये. गंभीर ने अब तक नौ शतक लगाये हैं जिनमें से चार मैच में भारत जीता जबकि पांच मैच ड्रा रहे थे.
बल्लेबाजी के बादशाह सचिन तेंदुलकर ने अब तक जो 51 शतक लगाये हैं उनमें से सर्वाधिक 20 भारत की जीत के काम आये हैं। यह अलग बात है कि उनके 11 शतक बेकार भी गये है और भारत तब मैच हार गया था जबकि बाकी 20 शतक उन्होंने तब लगाये जबकि मैच ड्रा रहा.
भारत के फैब थ्री में शामिल वीवीएस लक्ष्मण ने अब तक 16 शतक लगाये हैं. इनमें से उनके छह शतक भारत को जीत दिला गये जबकि बाकी आठ मैच ड्रा रहे. यह भी संयोग है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में लगाये उनके दो शतक (2000 में 167 रन और 2008 में 109 रन) भारत की हार नहीं टाल पाये थे.
चोटिल होने के कारण लॉर्ड्स टेस्ट में नहीं खेलने वाले वीरेंद्र सहवाग अपने सलामी जोड़ीदार गंभीर की तरह भाग्यशाली नहीं रहे हैं. उनके 22 में पांच शतक टीम के काम नहीं आये थे और तब भारत मैच हार गया था. सहवाग के सात शतक ने हालांकि भारत की जीत में अहम भूमिका निभायी जबकि बाकी दस शतक उन्होंने ड्रा मैच में लगाये.
मोहम्मद अजहरूद्दीन के 22 में से सात शतक बेकार गये थे. वह भारत की तरफ से तेंदुलकर के बाद इस मामले में दूसरे नंबर पर हैं. अजहर के पांच शतकों से भारत को जीत भी मिली है जबकि उनके दस शतक ड्रा मैच में बने.
दिलीप वेंगसरकर के 17 शतक में से केवल चार शतक भारत की जीत के काम आये थे लेकिन 11 बार उनके सैकड़े की बदौलत टीम मैच ड्रा कराने में सफल रही थी.वेंगसरकर ने भी केवल दो शतक उन मैच में लगाये जिनमें भारतीय टीम को हार मिली. इनमें लॉर्ड्स में 1982 में खेला गया मैच भी शामिल है.
पाली उमरीगर के 12 में से दो शतक जीत और आठ शतक ड्रा के काम आये जबकि उनके दो शतक भारत की हार नहीं टाल पाये थे. मोहिंदर अमरनाथ ने अपने 11 में से नौ शतक ड्रा मैच में लगाये. उनका एक शतक ही भारत की जीत के काम आया.
1977 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में खेली गयी 100 रन की उनकी पारी भी भारत को हार से नहीं बचा पायी थी। रवि शास्त्री ने 11 शतकों में से केवल सैकड़ा ही उन मैच में लगाया जिनमें भारत जीता। उनके आठ शतक ड्रा मैच जबकि दो शतक उन मैच में लगे जिनमें भारत पराजित हुआ.
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो देखने के लिए जाएं m.aajtak.in पर.