सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए सरकार द्वारा अपनी जन्मतिथि दावे को खारिज करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की.
ऐसा माना जाता है कि रिट याचिका में उनकी जन्मतिथि को मैट्रिक प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेजों के आधार पर 10 मई 1951 की बजाय 10 मई 1950 मानने के उनके दावे पर सरकार के निर्णय पर प्रश्न खड़ा किया गया है.
यह पहली बार है जब किसी भी सेना प्रमुख ने सरकार को अदालत में खींचा है. याचिका दायर की जा चुकी है और वरिष्ठ अधिवक्ता यू यू ललित उच्चतम न्यायालय में जनरल सिंह का पक्ष रखेंगे.
जनरल सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि यह मामला उनके ‘सम्मान और ईमानदारी’ का है क्योंकि वह 13 लाख कर्मियों के बल का नेतृत्व करते हैं. उन्होंने प्रश्न किया है कि सरकार ने उनकी जन्मतिथि को बदलने का निर्णय क्यों किया जब उन्होंने सेवा में 36 वर्ष गुजार लिये हैं और पूरे करियर में उन्हें पदोन्नति भी मिली.
जनरल सिंह ने यह कदम अपने और रक्षा मंत्रालय के बीच महीनों से जारी खींचतान के बाद उठाया है जिसके दौरान उन्होंने मंत्रालय में दो बार वैधानिक ज्ञापन दिये. रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने हाल में उनके वैधानिक अभिवेदन को खारिज कर दिया था जिसके बाद इस मुद्दे पर जनरल सिंह के लिए सभी आंतरिक अपील विकल्प समाप्त हो गए.
सरकार के इस निर्णय से जनरल सिंह को 31 मई को अवकाशग्रहण करना होगा. उनका कहना है कि उनकी वास्तविक जन्मतिथि को 10 मई 1951 माना जाए क्योंकि यही तिथि उनके मैट्रिक प्रमाणपत्र में उल्लेखित है. लेकिन रक्षा मंत्रालय ने उनके दावे को खारिज कर दिया था क्योंकि एनडीए परीक्षा के लिए यूपीएससी प्रवेश फार्म में उनकी जन्मतिथि 10 मई 1950 दर्ज है.
सेना प्रमुख ने गत शुक्रवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में इस मामले पर अपनी रणनीति का खुलासा किये बिना अपने सभी विकल्प खुले रखे थे. यह पूछे जाने पर कि क्या वह त्यागपत्र देने का विचार कर रहे हैं, उन्होंने कहा, ‘कृपया इसे मेरे निर्णय पर छोड़ दीजिये कि मैं क्या करता हूं, मैं क्या करना चाहता हूं. यह ऐसा मामला है जिससे मुझे चिंता है. मुझे इस मुद्दे पर स्वयं ही सोचने दीजिये, मैं समय मिलने पर इस पर विचार करूंगा.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह त्यागपत्र देने की बात खारिज नहीं कर रहे हैं, उन्होंने कहा, ‘मुझे अपने बारे में विचार करने के लिए समय निकालने दीजिये.’ 31 मार्च 2010 में सेनाध्यक्ष पद संभालने वाले जनरल सिंह यह कहते आ रहे हैं कि यह मामला उनके ‘ईमानदारी और सम्मान’ से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा है कि उन्होंने इस मुद्दे को ‘संगठनात्मक हित’ में उठाया है.
पैरा कमांडो रहे और वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में हिस्सा ले चुके जनरल सिंह ने जनरल दीपक कपूर से सेनाप्रमुख का पदभार संभाला था. एंटनी ने जनरल सिंह के ज्ञापन को नामंजूर करते हुए उन्हें एक पत्र भेजा था जिसमें उन्होंने उनके नेतृत्व पर पूरा भरोसा जताया था.
कैबिनेट की नियुक्ति समिति के सदस्य गृह मंत्री पी चिदंबरम ने गत सप्ताह एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जनरल सिंह के आयु मामले को ‘न्यायपूर्वक और ईमानदारी’ से निपटा गया.