कालेधन और कर चोरी पर अंकुश लगाने के लिये भारत और नेपाल ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये. इससे दोनों देशों के बीच बैंक खातों के बारे में सूचनाओं का आदान प्रदान हो सकेगा और कर चोरी रोकने में मदद मिलेगी.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और नेपाल के वित्तमंत्री बरसमन पुन ने समझौते पर हस्ताक्षर किये. नया समझौता वर्ष 1987 में हुये पहले समझौते का स्थान लेगा. यहां पहुंचने पर मुखर्जी ने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि इससे दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते और मजबूत होंगे और व्यापार तथा अन्य आर्थिक गतिविधियों में और विस्तार होगा.’
दोहरे कराधान से बचने के नये समझौते में नये व्यापारिक सिद्वांतों को शामिल किया गया है और इसमें उन निवेशकों और उद्यमियों को कर रियायत मिलेगी जिन्होंने नेपाल में कर चुका दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस समझौते से नेपाल में निवेशकों को अकषिर्त करने और उनका विश्वास बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. नेपाल में निवेश करने वालों में भारत का अग्रणी स्थान है और भारत ही नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार भी है.
भारत और नेपाल के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2009-10 में 1.98 अरब डालर से बढकर 2010-11 में 2.70 अरब डालर तक पहुंच गया. यह वृद्धि 37 प्रतिशत की रही. उधर, नेपाल के मंजूरीप्राप्त कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भारतीय कंपनियों का हिस्सा 47.5 प्रतिशत रहा है. मुखर्जी ने कहा, ‘संशोधित कराधान समझौते में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार मानकों को शामिल किया गया है, इसमें बैंक खातों के बारे में जानकारी तथा अन्य सूचनाओं को बांटने का प्रावधान है.’
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा सूचना देने वाले देश की सहमति से प्राप्त जानकारी को दूसरी जांच एवं प्रवर्तन एजेंसियों के साथ भी बांटा जा सकता है.’ नेपाल में विनिर्माण, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा और दूरसंचार जैसी सेवाओं तथा बिजली और पर्यटन उद्योग क्षेत्र में 150 से अधिक भारतीय उद्यम काम कर रहे हैं.
भारत अब तक 82 देशों के साथ संशोधित दोहरे कराधान से बचने का समझौता कर चुका है जबकि पांच अन्य विशेषाधिकार क्षेत्रों के साथ कर सूचनाओं के अदान प्रदान का समझौता भी किया गया है. भारत ने 17 विशेषाधिकार क्षेत्रों के साथ कर संबंधी सूचनाओं के आदान प्रदान समझौते पर बातचीत पूरी कर ली गई है.
भारत ने स्विटजरलैंड के साथ भी दोहरे कराधान से बचने का समझौता किया है जिसके तहत दोनों देश कर संबंधी और बैंकिंग खातों से जुड़ी जानकारी एक दूसरे को उपलब्ध करा सकेंगे.