एयर इंडिया के लिए 111 विमानों की खरीद को लेकर कैग द्वारा नागर विमानन मंत्रालय की तीखी आलोचना किए जाने के बाद पूर्व नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने मंत्रालय के निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि उस समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए कंपनी के पास कोई और रास्ता नहीं था.
संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल में उद्योग मंत्रालय का जिम्मा संभाल रहे पटेल ने कहा, ‘2004 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स के पास 93 विमान थे जिसमें से ज्यादातर 20 साल पुराने थे. कंपनी के लिए इन पुराने विमानों के साथ वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ा होना मुश्किल था.’
उल्लेखनीय है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने एयर इंडिया के लिए ऋण के जरिए 111 विमान खरीदने के नागर विमानन मंत्रालय के निर्णय पर सवाल खड़ा करते हुए इस कदम को ‘प्रारंभ से ही संकट को दावत’ देने के समान करार दिया है.
पटेल ने संपूर्ण रिपोर्ट को ‘विरोधाभासों का पुलिंदा’ करार दिया और कहा कि नागर विमानन मंत्रालय विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर लोक लेखा समिति को उचित जवाब देगा. पटेल ने कहा, ‘सरकार ने अपनी समझ से जो कुछ भी किया वह कंपनी को व्यवसायिक तौर पर व्यवहारिक बनाना था. हमें तत्काल यह निर्णय करना पड़ा कि नए विमान खरीदे जाएं या नहीं अन्यथा विमानन कंपनी बंद हो जाएगी.’
उन्होंने कहा कि अगर 17 महीने (विमान अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी करने में लगा समय) को निर्णय में बहुत जल्दबाजी साथ बताया जा रहा है तो ‘तो ऐसी प्रक्रिया के लिए हम कोई समय कर दी जानी चाहिए.’ पटेल ने कहा कि विमानों की खरीद प्रक्रिया में योजना आयोग और सार्वजनिक निवेश बोर्ड सहित सरकार के हर संबंधित प्रभाग शामिल थे. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस प्रक्रिया के लिए अपनी ओर से गारंटी भी दी थी. अन्यथा सभी विमानन कंपनियां के पास विमान खरीदने के लिए खुद के फंड होते.