एयर मार्शल एनएके ब्राउने ने शनिवार को वायु सेना मुख्यालय में वायुसेना के नये उप प्रमुख के तौर पर कामकाज संभाला. इससे पहले वह वायु सेना की पश्चिमी वायु कमान (डब्ल्यूएसी) के एयर आफिसर कमांडिंग इन चीफ थे, जो कि वायु सेना की सबसे बड़ी कमान है.
उन्होंने एयर मार्शल पी.के बारबरा की जगह ली है जो शुक्रवार को सेवानिवृत्त हुए. वायु सेना की एक विज्ञप्ति के अनुसार ‘पीपुल फर्स्ट मिशन ऑलवेज’ के दृष्टिकोण के साथ एयर मार्शल ब्राउने ने सुनिश्चित किया कि कमांड अपनी तीन संबद्ध सैन्य कमानों उत्तरी कमान, पश्चिमी कमान और दक्षिण पश्चिम कमान से अच्छा संवाद बनाये रखे, जिससे अनेक संयुक्त अभ्यास सफलतापूर्वक किये जाते हैं.
इसका एक उदाहरण मई 2010 में संपन्न योद्धा शक्ति अभ्यास है. यह कमान पर्वतीय उत्तरी क्षेत्रों में तैनात सैन्य इकाइयों को पूरे साल हवाई सहयोग प्रदान करती है. वायु सेना की आधुनिकीकरण प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाने वाली डब्ल्यूएसी की क्षमता बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताते हुए ब्राउने ने खासकर उत्तरी इलाके में बुनियादी ढांचे के विकास, नये उपकरणों को शामिल करना और संचालन में लाना, सुरक्षा बनाये रखने और साथ ही संगठन की महान संपत्ति के तौर पर वायु सैनिकों के कल्याण आदि पर जोर दिया. {mospagebreak}
उनकी कमान और निजी निगरानी के तहत एएन-32 विमान पहली बार 18 सितंबर 2009 को न्योमा, एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) पर उतरा था. वायु सेना के लड़ाकू बेड़े में 24 जून 1972 में पायलट के तौर पर शामिल हुए ब्राउने को विंटेज हंटर, एमआईजी-21 के सभी प्रकार के विमानों, जगुआर और सू-30 एमकेआई समेत अनेक तरह के विमानों को लेकर उड़ान भरने का अनुभव है.
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र ब्राउने टैक्टिक्स एंड कांबट डवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट और वेलिंगटन के रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज में इंस्ट्रक्टर के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं. अमेरिका के एयर कमांड एंड स्टाफ कालेज से स्नातक ब्राउने कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं.
उन्होंने अप्रैल 1997 में तेल अवीव, इस्राइल में भारतीय रक्षा प्रकोष्ठ स्थापित करने में भी भूमिका निभाई. वहां उन्होंने वर्ष 2000 तक रक्षा अताशे के तौर पर काम किया. ब्राउने को परम विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक और वायु सेना पदक से सम्मानित किया जा चुका है.