आरएलडी अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश विभाजन के मसले पर मुख्यमंत्री मायावती के साथ हैं और विधानसभा में वह इसका समर्थन करेंगे. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस से गठबंधन की बात पर अजीत सिंह का कहना था कि अभी कांग्रेस से गठबंधन को लेकर कोई बात तय नहीं हुई है.
वहीं उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने इसे चुनावी स्टंट करार दिया है और कहा है कि उनकी पार्टी इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध करेगी.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने उत्तर प्रदेश का चार नए राज्यों पूर्वाचल, बुंदेलखण्ड, अवध प्रदेश और पश्चिम प्रदेश में विभाजन करने के लिये आगामी 21 नवम्बर को शुरू हो रहे राज्य विधानमंडल सत्र में प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजने का फैसला किया है.
कांग्रेस, भाजपा और सपा सहित सभी प्रतिपक्षी दलों के रुख में राज्य के विभाजन को लेकर भले ही अन्तर हो, लेकिन सभी ने ही इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री मायावती की गंभीरता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यदि वे इस पर सचमुच गंभीर होती तो दो चार साल पहले ही विधानसभा में इस आशय का प्रस्ताव ले आती.
विधानसभा में मुख्य प्रतिपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने राज्य के विभाजन को उत्तर प्रदेश की राजनीतिक ताकत समाप्त करने की साजिश करार देते हुए इसका हर स्तर पर विरोध करने का निर्णय किया है, जबकि भाजपा तथा कांग्रेस राज्य के विभाजन के लिए राज्य पुनर्गठन आयोग बनाये जाने की आवश्यकता बताते हुए मायावती सरकार के फैसले को चुनावी स्टंट करार दिया है.
हालांकि, दोनों ही दलों ने छोटे राज्यो के गठन का समर्थन किया है, लेकिन 21 नवम्बर से शुरू हो रही विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य के विभाजन के लिए आने वाले प्रस्ताव के समर्थन अथवा विरोध के बारे में अभी किसी निर्णय की घोषणा नहीं की है.
उत्तर प्रदेश में पार्टी की जनस्वाभिमान यात्राओं का नेतृत्व कर रहे भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कलराज मिश्र पहले से ही अपनी जनसभाओं में ‘राज्य विभाजन’ को बसपा का ‘चुनावी स्टंट’ बताते हुए राज्य पुनर्गठन आयोग बनाये जाने की मांग करते रहे है. राजनाथ सिंह ने कहा कि मायावती सरकार का यह फैसला अपने भ्रष्टाचार एवं कुशासन से जनता का ध्यान हटाने के लिए विधानसभा चुनाव से पहले किया गया ‘चुनावी स्टंट’ बताया है और कहा है कि यदि मुख्यमंत्री मायावती इस प्रकरण पर सचमुच गंभीर होती तो यह प्रस्ताव दो चार साल पहले ही पारित करवा सकती थी.
उधर दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह याद रखना होगा कि बुंदेलखंड में मध्यप्रदेश का भी कुछ क्षेत्र है. उन्होंने कहा कि राज्यों का बंटवारा जटिल विषय है और यह ध्यान देना होगा कि सभी लोग इसे स्वीकार करें.