उत्तर प्रदेश सरकार की कमान अब अखिलेश यादव के हाथों में होगी. शनिवार को सपा के विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुन लिया गया. इसके बाद अखिलेश ने जनता का धन्यवाद किया और कहा कि पार्टी ने चुनाव से पहले जो भी वादे किए थे, वे सभी पूरे किए जाएंगे तथा राज्य में कानून-व्यस्था की स्थिति दुरुस्त होगी.
सपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद अखिलेश ने राजभवन जाकर राज्यपाल बी. एल. जोशी से औपचारिक मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया. साथ ही यह भी बताया कि वह 15 मार्च को सुबह पौने 11 बजे से दोपहर एक बजे के बीच शपथ ग्रहण करना चाहते हैं.
सपा विधानमंडल दल की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में अखिलेश ने कहा कि मैं भरोसा दिलाता हूं कि पार्टी ने घोषणा-पत्र में जो भी वादे किए थे, उन सभी को पूरा किया जाएगा. किसानों, बुनकरों, मुसलमानों सहित समाज के हर तबके के हित में काम किया जाएगा. किसी भी तरह का भेद-भाव नहीं किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि सरकार कानून-व्यवस्था भंग करने वालों से सख्ती से निपटेगी. इसमें किसी तरह की ढील नहीं दी जाएगी और ऐसा करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
पार्टी का नया चेहरा अखिलेश ने यह भी कहा कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) राज्य की राजनीति के साथ-साथ केंद्रीय राजनीति में भी सक्रिय रहेंगे और उनके आशीर्वाद तथा मार्गदर्शन में ही पार्टी काम करेगी.
उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता ने जिस उम्मीद के साथ सपा को बहुमत दिया है, उस पर खरा उतरना और राज्य को विकास के रास्ते पर लाना उनकी प्राथमिकता होगी. नई सरकार उत्तर प्रदेश के विकास की दिशा में काम करेगी, ताकि यह भी अन्य विकसित प्रदेशों की बराबरी में खड़ा हो सके.
उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि उनकी सरकार विरोध की राजनीति नहीं करेगी और निवर्तमान मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में जो मूर्तियां बनवाई गईं, उन्हें तोड़ा नहीं जाएगा.
अखिलेश ने बताया कि उनके नाम का प्रस्ताव पार्टी के वरिष्ठ नेताओं आजम खान और शिवपाल यादव ने किया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया. 38 वर्षीय अखिलेश उत्तर प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे. मायावती 39 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश की सबसे युवा मुख्यमंत्री बनी थीं.
एक जून 1973 को जन्मे अखिलेश ने मैसूर विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. वर्ष 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट पर हुए उप चुनाव को जीतकर उन्होंने राजनीति में कदम रखा. इसके बाद वह 14वीं और 15वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए.
दो साल पहले उन्हें सपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी की ओर से बड़ी राजनीतिक जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इसके बाद उन्होंने संगठन स्तर पर कड़ी मेहनत की और इसी का नतीजा था कि इस विधानसभा चुनाव में सपा ने 224 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल की और इसके साथ ही मायावती शासन समाप्त हो गया.