विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की हार के कारणों में जहां जानकार मुख्यमंत्री रहने के दौरान मायावती की जनता से दूरी गिना रहे हैं, वहीं नए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आम जनता से नजदीकी को अपनी ताकत बना रहे हैं.
जनता दरबार लगाने का फैसला, मुख्यमंत्री आवास- 5 कालीदास मार्ग की सड़क आम आदमी के लिए खोलना, लोगों की परेशानी को ध्यान में रखते हुए अपने काफिले में वाहनों की संख्या कम करने, जैसे कई कदम हैं जो बताते हैं कि युवा मुख्यमंत्री अखिलेश अपनी सरकार में आम आदमी को केंद्र में रखकर उससे निकटता को अपनी ताकत बनाना चाहते हैं.
2007 में मायवती के मुख्यमंत्री बनते ही कालीदास मार्ग आम जनता के लिए बंद कर दिया गया था. जनता तो दूर सरकारी अधिकारियों तक को उस मार्ग से जाने की पाबंदी थी. अखिलेश ने मुख्यमंत्री बनने के बाद करीब एक किलोमीटर लम्बे इस रास्ते को आम लोगों के लिए खोलकर स्थानीय जनता को बड़ी राहत दी.
मायावती के बारे में कहा जाता है कि मुख्यमंत्री रहते आम जनता तो दूर उनसे बसपा के विधायक व सांसद और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी तक नहीं मिल पाते थे. अखिलेश यादव पद सम्भालने के बाद लगातार लोगों से मिल रहे हैं. आगामी 18 अप्रैल से वह हर बुधवार को जनता दरबार लगाएंगे, जिसमें लोग सीधे मुख्यमंत्री से संवाद कर उन्हें अपनी समस्याएं बता सकेंगे.
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने आईएएनएस से कहा, 'अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण के साथ ही वे सारी जंजीरें तोड़ दी जिनके भार से जनता कराह रही थी. सपा की सरकार आने के बाद सूबे में लोकतंत्र बहाल हुआ और आम आदमी को तानाशाह मुख्यमंत्री के कुशासन से मुक्ति मिली है.'
उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री अखिलेश ने दहशत पैदा करने वाले पुराने सुरक्षा काफिले में भी कमी कर दी और अपने आवागमन के समय यातायात रोकने की प्रथा भी बंद करा दी. अब मुख्यमंत्री आवास वाली सड़क पर कर्फ्यू जैसे हालात नहीं रहते. उनके कार्यालय के दरवाजे पहले की तरह आम लोगों के लिए बंद नहीं रहते.'
मुख्यमंत्री अखिलेश ने विधानसभा के सामने पुराने धरना स्थल को फिर से बहाल कर दिया. साथ ही मायावती के निजी आवास 13-मॉल एवेन्यू में पिछले पांच साल से लगे बैरियर को हटवा दिया. इस मार्ग पर अभी तक आम लोगों की आवाजाही पर पाबंदी थी. जिसके चलते स्थानीय लोगों को कई किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ता था.
राजनीतिक विश्लेषक एवं लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रमेश दीक्षित ने कहा, 'मायावती की जनता से कथित दूरी के उलट अखिलेश की रणनीति आम लोगों के लिए आसानी से सुलभ मुख्यमंत्री के रूप में खुद को पेश कर जनहित मुख्यमंत्री की छवि बनाने की है.'