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मायावती पर नरमी से अखिलेश सरकार विपक्ष के निशाने पर

सत्ता में आने से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) ने मायावती के बंगलों पर भारी भरकम खर्च और 21 सरकारी चीनी मिलों की बिक्री में करोड़ों के भ्रष्टाचार का मुद्दा भले ही जोर-शोर से उठाया हो लेकिन सत्ता में आने के बाद अब अखिलेश सरकार के इन मामलों की जांच कराने से इनकार के फैसले को विपक्षी दलों ने अफसोसनाक और जनता की उम्मीदों पर कुठाराघात करार दिया है.

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सत्ता में आने से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) ने मायावती के बंगलों पर भारी भरकम खर्च और 21 सरकारी चीनी मिलों की बिक्री में करोड़ों के भ्रष्टाचार का मुद्दा भले ही जोर-शोर से उठाया हो लेकिन सत्ता में आने के बाद अब अखिलेश सरकार के इन मामलों की जांच कराने से इनकार के फैसले को विपक्षी दलों ने अफसोसनाक और जनता की उम्मीदों पर कुठाराघात करार दिया है.

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प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता राम कुमार भार्गव ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा, 'सपा सरकार के जांच न कराने के फैसलों से हम आश्चर्यचकित हैं. कांग्रेस मुख्यमंत्री अखिलेश से जानना चाहती है कि जब सपा ने चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सरकार के चीनी मिलों की बिक्री में करीब दो हजार करोड़ रुपये के घोटाले के मुद्दे को अपने घोषणा पत्र में उठाकर सत्ता में आने पर जांच कराने की बात कही थी तो अब कौन सी परिस्थतियां आ गईं कि सपा सरकार जांच के कतरा रही है.'

भार्गव ने कहा, 'जांच न कराने का फैसला बड़ी उम्मीद से सपा को सत्ता में बैठाने वाली जनता की उम्मीदों पर कुठाराघात है. हमारी मांग है कि पिछली बसपा सरकार में हुआ भ्रष्टाचार उजागर होना चाहिए. अगर सपा सरकार जांच नहीं कराएगी तो उसकी विश्वनीयता का खतरा आ जाएगा.'

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता हृदय नारायण दीक्षित ने कहा, 'अखिलेश सरकार के इस तरह पलटने से साफ जाहिर है कि ये सरकार अपने वादों के प्रति गम्भीर नहीं है. जिस तरह पिछली बसपा सरकार का भ्रष्टाचार सामने आया, उसकी जांच कराने की इस सरकार की इच्छाशक्ति नहीं है.' दीक्षति ने कहा, 'सपा सरकार के इस फैसले से लोगों को निराशा हुई है. हमें इस बात से इनकार नहीं है कि बसपा और सपा के बीच समझौता हो गया है.'

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