उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी में जारी अंदरूनी खींचतान उस समय खुलकर सामने आ गयी जब पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खां की पहल को ठुकराते हुए दल की राज्य इकाई के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आपराधिक पृष्ठभूमि के बसपा विधायक डी. पी. यादव को पार्टी में शामिल करने से इंकार कर दिया.
अखिलेश ने अपनी क्रांति रथ यात्रा के नौवें चरण की शुरुआत करते हुए संवाददाताओं से बातचीत में एक सवाल पर कहा कि डी. पी. यादव को पार्टी में नहीं लिया जाएगा और वह दल में नहीं आएंगे.
उन्होंने कहा कि पार्टी में शामिल होने का एक तयशुदा तरीका है जिसके लिये उसकी सदस्यता ग्रहण करनी पड़ती है और इस बारे में अभी तक किसी ने भी उनसे सम्पर्क नहीं किया है. अखिलेश ने आजम खां द्वारा आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में डी. पी. यादव की मौजूदगी सम्बन्धी सवाल पर कहा, ‘अब कोई आपसे मिलने के लिये चला आए तो क्या करेंगे.’ उन्होंने कहा कि सपा प्रदेश में साफ-सुथरी सरकार देना चाहती है और वह इस दिशा में पूरी तत्परता से काम करेगी.
डी. पी. यादव को पार्टी में शामिल करने को लेकर अखिलेश की इस प्रतिक्रिया पर आजम खां ने कहा कि किसी को दल में शामिल करना या नहीं करना पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का अधिकार है और उनके इस हक को चुनौती नहीं दी जा सकती.
गौरतलब है कि डी. पी. यादव पिछले दिनों रामपुर में सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां द्वारा आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते नजर आये थे और उन्होंने बदायूं जिले के सहसवान क्षेत्र से सपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने की बात भी कही थी. उसके बाद से ही उनके तथा उनकी विधायक पत्नी उमलेश के सपा में शामिल होने की अटकलें लगायी जा रही थीं. डी. पी. यादव और उनकी पत्नी उमलेश ने वर्ष 2007 में राष्ट्रीय परिवर्तन दल बनाकर चुनाव लड़ा था जिसमें इस दम्पति ने जीत दर्ज की थी. बाद में यादव ने अपनी पार्टी का बसपा में विलय कर दिया था.
यादव को लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के बयान के बारे में पूछे जाने पर सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि इस बारे में अंतिम निर्णय दल का केन्द्रीय नेतृत्व ही करेगा.