पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में यमुना नदी के किनारे बने अक्षरधाम मंदिर को न तो पर्यावरण मंजूरी मिली थी और न ही मंदिर निर्माण करने वालों ने इसके लिये कभी आवेदन किया था. लेकिन मंत्री ने स्वीकार किया कि इस बारे में अब कुछ भी नहीं किया जा सकता.
यमुना नदी के किनारे 30 एकड़ से अधिक क्षेत्र में वर्ष 2005 में बनकर तैयार हुए स्वामीनारायण सम्प्रदाय के इस भव्य मंदिर के निर्माण के बारे में रमेश ने कहा, ‘अक्षरधाम मंदिर का निर्माण करने वालों ने पर्यावरण मंजूरी हासिल करने के लिये आवेदन तक नहीं किया. बिना पर्यावरण मंजूरी के इस मंदिर का निर्माण यमुना नदी के तट पर हुआ. यह पर्यावरण की दृष्टि से एक अजीब तरह का मामला है.’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘पर्यावरण मंत्रालय नदी नियमन क्षेत्र (आरआरजेड) संबंधी अधिसूचना जारी करने के बारे में गंभीरता से विचार कर रहा है ताकि जिस तरह यमुना नदी के किनारे विनाशकारी निर्माण हुआ है, वैसा भविष्य में नहीं हो. अक्षरधाम मंदिर का निर्माण नदी को नुकसान पहुंचाने का अपने तरह का पहला उदाहरण था. इसके बाद भी कई निर्माण होते गये.’ {mospagebreak}
यह पूछने पर कि क्या पर्यावरण नियमों का खुले तौर पर उल्लंघन कर अक्षरधाम मंदिर का निर्माण हुआ है, रमेश ने कहा, ‘निर्माण तो हो चुका है. आगे नदी को और नुकसान नहीं हो, इसके लिये हमें सोचना होगा.’ क्या पर्यावरण मंत्रालय मंदिर के खिलाफ कोई कार्रवाई के बारे में विचार कर रहा है, मंत्री ने कहा, ‘हम अक्षरधाम मंदिर परिसर को नहीं गिरा सकते. हमें यमुना नदी के बाकी तटीय क्षेत्र को बचाना होगा.’
रमेश ने कहा, ‘इसी तरह यह भी एक सवाल है कि क्या राष्ट्रमंडल खेल गांव का निर्माण होना चाहिये था. इसका जवाब है कि ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिये था.’ क्या पर्यावरण मंत्रालय ने राष्ट्रमंडल खेल गांव के निर्माण को मंजूरी दी थी, मंत्री ने कहा, ‘हां, उसे मंजूरी मिली. वहां खेल गांव बना है और उसे मंजूरी मिली थी. मैं अतीत के बारे में नहीं बोलना चाहता.’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल खेल गांव के निर्माण को मंजूरी मिली, जिसे उच्चतम न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करने के बाद बरकरार रखा. अन्यथा, खेल गांव के निर्माण को भी पर्यावरण मंजूरी नहीं मिलनी चाहिये थी.
रमेश ने कहा, ‘नदी के किनारों का संरक्षण करना जरूरी है. हम नदी नियमन क्षेत्र की अधिसूचना जारी करने के बारे में विचार कर रहे हैं. उम्मीद है कि तटीय नियमन क्षेत्र की ही तरह अगले कुछ महीनों में नदी नियमन क्षेत्र संबंधी अधिसूचना भी जारी कर दी जायेगी.’ रमेश ने कहा कि यमुना नदी के संरक्षण के लिये कार्य कर रहे कई संगठनों की तरफ से भी इसी तरह का सुझाव आया है. हम पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत नदी नियमन क्षेत्र संबंधी अधिसूचना जारी करेंगे.