भोपाल की यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी को 25 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद न्यायालय ने 23 साल की सुनवाई के बाद आज इस मामले में आठ लोगों को दोषी करार दिया और यह फैसला सुनाने वाले मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मोहन पी तिवारी मामले की सुनवाई करने वाले 19वें न्यायाधीश रहे.
गौरतलब है कि सीबीआई द्वारा इस मामले में आरोपपत्र इस घटना के लगभग तीन साल बाद एक दिसंबर 1987 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के. ए. सिसोदिया की अदालत में पेश किया गया था.
सिसोदिया के बाद मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आर. सी. मिश्रा ने इस मामले की सुनवाई 30 सितंबर 1988 से शुरु की. उनके बाद लाल सिंह भाटी की अदालत में इस मामले की सुनवाई 26 जुलाई 1989 से 27 नवंबर 1991 तक चली.
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी गुलाब शर्मा ने इस प्रकरण की सुनवाई के बाद मामले को 22 जून 1992 को सत्र न्यायालय को स्थानांतरित कर दिया और सत्र न्यायाधीश एस. पी. खरे ने 13 जुलाई 1992 से सुनवाई शुरु की.{mospagebreak}
उल्लेखनीय है कि भोपाल गैस त्रासदी को लेकर पुलिस ने तीन दिसंबर 1984 को ही प्राथमिकी दर्ज कर ली थी तथा राज्य सरकार की पहल पर केन्द्र सरकार ने यह मामला छह दिसंबर 1984 को सीबीआई को जांच के लिए सौंप दिया था.{mospagebreak}
गैस त्रासदी की जांच कर रही सीबीआई ने विवेचना पूरी कर एक दिसंबर 1987 को यूनियन कार्बाइड के खिलाफ यहां जिला अदालत में आरोप पत्र पेश किया था, जिसके आधार पर सीजेएम ने भारतीय दंड संहिता की धारा 304 एवं 326 तथा अन्य संबंधित धाराओं में आरोप तय किए थे. इन आरोपों कि खिलाफ कार्बाइड ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और शीर्ष अदालत ने 13 सितंबर 1996 को धारा 304, 326 के तहत दर्ज आरोपों को कम करके 304 (ए), 336, 337 एवं अन्य धाराओं में तब्दील कर दिया.
भोपाल जिला अदालत में दायर आपराधिक प्रकरण में नौ लोगों को अभियुक्त बनाया गया था, जिसमें से यूसीआईएल के तत्कालीन वर्क्स मैनेजर आर. बी. राय चौधरी की इस दौरान मृत्यु होने पर कुल आठ अभियुक्तों पर मुकदमा चलाया गया.
इन आठ अभियुक्तों में यूसीआईएल के तत्कालीन अध्यक्ष केशव महेन्द्रा, प्रबंध संचालक विजय गोखले, उपाध्यक्ष किशोर कामदार, वर्क्स मैनेजर जे. मुकुंद, प्रोडेक्शन मैनेजर एस.पी. चौधरी एवं संयंत्र अधीक्षक के.वी. शेट्टी, प्रोडेक्शन असिस्टेंट ए.आई. कुरैशी एवं यूसीआईएल कोलकाता हैं.
सुनवाई के दौरान अदालत ने तीन अन्य अभियुक्तों यूसीसी अमेरिका के तत्कालीन अध्यक्ष वारेन एण्डरसन, यूसीसी अमेरिका एवं यूनियन कार्बाइड ईस्टर्न, हांगकांग को भगोड़ा घोषित कर दिया था.
दूसरी ओर, गैस पीड़ितों के हक में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को इस फैसले से इसलिए कोई अधिक उम्मीद नहीं है, क्योंकि उनका आरोप है कि सीबीआई ने कार्बाइड के खिलाफ प्रकरण को ठीक तरह पेश नहीं किया गया है.