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अमन काचरू रैगिंग मामला: दोषियों को 4 साल की सजा

हिमाचल प्रदेश के अमन काचरू रैगिंग मामले में एक अदालत ने गुरुवार को मेडिकल के चार वरिष्ठ छात्रों को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया और चारों को चार वर्ष कैद की सजा सुनाई. साथ ही अदालत ने चारों दोषी छात्रों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लागया है.

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हिमाचल प्रदेश के अमन काचरू रैगिंग मामले में एक अदालत ने गुरुवार को मेडिकल के चार वरिष्ठ छात्रों को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया और चारों को चार वर्ष कैद की सजा सुनाई. साथ ही अदालत ने चारों दोषी छात्रों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लागया है.

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रैगिंग की यह घटना पिछले साल हिमाचल प्रदेश के टांडा में हुई थी जिसमें चोटों के चलते कनिष्ठ छात्र अमन काचरू की मौत हो गई थी. अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुरिंदर वैद्य ने रैगिंग करने वाले चारों छात्रों को भारतीय दंड संहिता की दफा 304(2) गैर इरादतन हत्या, 452 (नुकसान पहुंचाने की तैयारी करने के बाद बिना इजाजत प्रवेश) और दफा 34 (समान इरादा) के तहत दोषी ठहराया.

धर्मशाला से लगभग 15 किलोमीटर दूर टांडा स्थित राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में अंतिम वर्ष के छात्रों अजय वर्मा नवीन वर्मा अभिनव वर्मा और मुकुल शर्मा द्वारा रैगिंग लिए जाने के बाद के उनके कनिष्ठ 19 वर्षीय छात्र अमन काचरू की आठ मार्च 2009 को मौत हो गई थी. {mospagebreak}

वरिष्ठ सरकारी अधिवक्ता जीवन लाल शर्मा के नेतृत्व में चले अभियोजन में कहा गया कि रैगिंग के नाम पर अमन को उसके चार वरिष्ठों ने बर्बरता से पीटा जिससे चोटों के चलते उसकी मौत हो गई. फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमन के पिता राजेंद्र काचरू ने इसे न्याय की जीत बताया और कहा कि यह उन लोगों के लिए एक कड़ा और स्पष्ट संदेश है जो अब भी रैगिंग की घटनाओं में लिप्त हैं.

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उन्होंने कहा ‘मैं इसे सिर्फ अपनी विजय के रूप में नहीं देखता बल्कि यह उन लोगों की जीत है जो न्यायिक सुधारों के लिए और रैगिंग के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं. मैं इसे जीत के रूप में देखता हूं.’ काचरू ने कहा कि उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि चारों छात्रों को क्या सजा मिलती है. मुद्दा सजा का नहीं बल्कि इस तरह के अपराधों को रोकने का है.’ {mospagebreak}

उन्होंने कहा कि यदि उन्होंने इस साल के शुरू में चारों आरोपियों को मिली जमानत के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ी होती तो ‘मैं आज यह फैसला नहीं देख पाता.’ अदालत ने डॉक्टरों पुलिस कर्मियों और अमन के पिता सहित 38 गवाहों के बयान दर्ज किए. इस साल 28 अगस्त को अदालत में राजेंद्र काचरू ने कहा था कि उनके बेटे ने उन्हें कॉलेज में हुई रैगिंग की घटना के बारे में विस्तार से बताया था.

उन्होंने अदालत को बताया ‘अमन ने मुझे यह भी बताया कि उसने कॉलेज के अधिकारियों को घटना (रैगिंग) के संबंध में लिखित शिकायत की है. अमन का फोन आने के तीन-चार घंटे बाद किसी ने मुझे कॉलेज से फोन कर बताया कि उसकी (अमन) मौत हो गई है.’

अदालत ने इस मामले से संबंधित दो डॉक्टरों कान नाक गला विभाग के हरजीत पाल सिंह और फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के सहायक प्रोफेसर डीपी स्वामी से दोबारा भी जिरह की. फास्ट ट्रैक अदालत ने 17 जुलाई को मामले के सभी चारों आरोपियों को जमानत दे दी थी लेकिन हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत को रद्द कर दिया.

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