इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को एक अहम फैसले में सेना की गतिविधियों संबंधी खबरों के प्रकाशन एवं प्रसारण पर रोक लगाते हुए इस संबंध में केन्द्र और राज्य सरकार को निर्देश जारी किये है.
न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह और न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार दीक्षित की खंडपीठ ने यह फैसला एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर की जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिया. याचिका में सेना की दो टुकडियों का कुछ समय पूर्व कथित तौर पर दिल्ली की तरफ कूच करने संबंधी मामले की उच्च स्तरीय जांच कराये जाने का आग्रह किया था.
अदालत ने फैसले में कहा कि मीडिया की स्वतंत्रता में दखल दिये बगैर सेना की टुकडियों की कूच संबंधी खबरों के बावत पहले ही रक्षा विभाग एवं सरकार का उच्च स्तरीय ध्यान आकृष्ट किया गया है. यह समुचित है कि केन्द्रीय गृह मामलों एवं सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिवों समेत उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह को निर्देश दिये जाएं कि सेना की गतिविधियों संबंधी खबरों का प्रकाशन व प्रसारण न किया जाए.
हाई कोर्ट ने आला अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे यह सुनिश्चित कराएं कि सेना की गतिविधि संबंधी विषयवस्तु पर प्रिंट एवं इलैक्ट्रानिक मीडिया में कोई रिपोर्टिंग एवं रिलीज न हो. अदालत ने कहा कि सेना की गतिविधि का मुद्दा इस तरह का नहीं है, जिसकी ‘डिफेंस आफिशियल सीक्रेसी’ और देश की रक्षा की कीमत पर जनचर्चा की आवश्यकता हो.
याचिकाकर्ता ने इस मुद्दे पर मीडिया रिपोर्टिंग का सरोकार देते हुए कहा कि अगर इसे जारी रखने की अनुमति दी गयी तो इससे सेना खासतौर पर टुकडियों की कूच संबंधी सुरक्षा पर गंभीर असर पडेगा. अदालत ने केन्द्र व राज्य सरकार के अधिकारियों को यह निर्देशों के साथ ही इस आदेश की प्रति संबंधित अफसरों एवं केन्द्र तथा राज्य सरकार के वकीलों को तत्काल पालन के लिए जारी करने के निर्देश भी दिये.