आरुषि केस में नूपुर तलवार की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
सीबीआई की विशेष अदालत ने उनकी किशोरी बेटी और एक घरेलू नौकर की हत्या के मामले में उन पर आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया था जिसे तलवार दंपति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. न्यायमूर्ति बालाकृष्णा नारायण ने दोनों याचिकाकर्ताओं एवं प्रतिवादी के तर्क सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.
नोएडा के दंत रोग विशेषज्ञ दंपति राजेश और नूपुर तलवार ने गाजियाबाद की सीबीआई की विशेष अदालत के नौ फरवरी के फैसले के खिलाफ 21 फरवरी को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. इसमें दंपति पर अपनी बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज की हत्या में शामिल होने के अलावा आपराधिक षड्यंत्र और साक्ष्यों को नष्ट करने का आरोप लगाया गया था.
वरिष्ठ वकील गोपाल चतुर्वेदी ने तलवार की ओर से तर्क दिया कि अदालत ने यह कहते हुए आदेश जारी किया कि उनके खिलाफ कार्यवाही शुरू करने के लिए ‘काफी साक्ष्य’ हैं जबकि सीबीआई ने अपने क्लोजर रिपोर्ट में दोनों में किसी को भी संदिग्ध नहीं बताया. {mospagebreak}
तलवार दंपति ने यह भी आरोप लगाये कि तीन वर्ष पुराने दोहरे हत्याकांड में जांच के दौरान कई तथ्य सामने आए जिन्हें निचली अदालत ने ‘अनदेखा’ कर दिया. इसके अलावा लड़की की मां नूपुर को जारी समन पर इस आधार पर सवाल खड़े किये कि उनका नाम आरोपी के तौर पर न तो प्राथमिकी में है और न ही आरोप पत्र में और न ही जांच के किसी चरण में पूछताछ के लिए उन्हें हिरासत में लिया गया.
सीबीआई की अदालत ने एक मार्च को तलवार की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने व्यक्तिगत पेशी से और उनके खिलाफ जारी जमानती वारंट से छूट देने की मांग की थी और सुनवाई की अगली तारीख 22 मार्च निर्धारित करने की अपील की थी.