इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा की अवधि 25 जून से दो अगस्त तक रखे जाने को न्यासंगत बताते हुए इस वार्षिक यात्रा का प्रबंध करने वाले श्राइन बोर्ड ने कहा कि ये तिथियां धार्मिक पंचांग के अनुसार निर्धारित की गई हैं तथा मौसम की संभावित स्थिति को भी ध्यान में रखा गया है.
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने हाल ही में यात्रा प्रारंभ होने की तिथि 25 फरवरी तय कर इसकी घोषणा की थी. लेकिन विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल एवं होटल संचालक संघ जैसे संगठनों ने यात्रा की निर्धारित अवधि को कम बताया और कहा कि तीर्थ यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसमें सबका समावेश नहीं हो सकता.
बोर्ड के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आर.के. गोयल ने कहा, ‘यात्रा के दौरान रक्षा बंधन की तिथि हर बार अलग-अलग पड़ने के कारण श्रद्धालुओं को त्योहार मनाने में असुविधा होती थी, उसका ध्यान रखा गया है. इसलिए परंपरा से हटकर की गई इस तिथि निर्धारण की सराहना की जानी चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘दो वर्ष पूर्व हमने यात्रा की अवधि 56 दिनों की रखी थी, क्योंकि उस वर्ष रक्षा बंधन की तिथि 24 अगस्त 2010 को पड़ी थी.’
गोयल ने कहा कि श्राइन बोर्ड का गठन एक वैधानिक अध्यादेश पर किया गया था. जम्मू एवं कश्मीर श्री अमरनाथजी श्राइन अधिनियम (2000) के प्रावधानों के तहत इसमें विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले नामचीन व्यक्तियों को शामिल किया गया है. इसलिए किसी बाहरी तत्व के दखल का सवाल ही नहीं उठता.
ज्ञात हो कि वर्ष 2011 में रक्षा बंधन 13 अगस्त को पड़ा था, जिस कारण यात्रा की अवधि 10 दिन घटाकर 46 दिन की रखी गई थी. 2012 में रक्षा बंधन दो अगस्त को है, इसलिए यात्रा की अवधि घटाकर 39 दिन की रखी गई है.
बोर्ड ने कहा, ‘घोषित तिथि से पहले यात्रा संभव नहीं है, क्योंकि उन दिनों में भारी बर्फबारी होती है. इस कारण रास्तों को चलने लायक बनाने में काफी समय लगता है.