केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में टाटा व वीडियोकॉन समूह को एक तरह से क्लीनचिट देते हुए कहा कि अनिल अंबानी की भूमिका की जांच की जा रही है क्योंकि जेल में बंद उनके तीनों शीर्ष अधिकारियों ने किसी भी तरह के गलत कार्य में शामिल होने से इनकार किया है.
ब्यूरो (सीबीआई) ने कहा है कि रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (आरएडीएजी) के तीन गिरफ्तार वरिष्ठ अधिकारी जांच के दौरान दिए गए अपने बयानों से ‘मुकर’ गए हैं इसलिए वास्तविक लाभान्वितों का पता लगाने के लिए आगे जांच की जा रही है.
सीबीआई ने कहा है कि आरएडीएजी के तीन कार्याधिकारियों गौतम दोषी, सुरेंद्र पीपारा तथा हरि नायर ने आपराधिक संहिता प्रक्रिया की 161 धारा के तहत दिये गये अपने वक्तव्य में फैसले के लिए पूरी जिम्मेदारी ली थी लेकिन वे दिल्ली उच्च न्यायालय में वह इससे मुकर गए.
सीबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील के के वेणुगोपाल ने न्यायाधीश जी एस सिंघवी तथा ए के गांगुली की खंडपीठ के समक्ष कहा, ‘उन्होंने फैसले की सारी जिम्मेदारी ली थी लेकिन उच्च न्यायालय में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान बोला कि वे तो केवल कर्मचारी थे और उन्हें कोई लाभ नहीं मिला.’ सीबीइआई ने इस घोटाले में अंबानी, टाटा ग्रुप, वीडियोकॉन के स्वामित्व वाली डेटम तथा अटार्नी जनरल जी ई वाहनवती के खिलाफ विभिन्न आरोपों में अपनी जांच की विस्तृत जानकारी दी और कहा कि अनिल अंबानी के खिलाफ जांच जारी है लेकिन उसे इस घोटाले में अन्य के खिलाफ अभियोज्यता संबंधी कोई साक्ष्य नहीं मिला है.
वेणुगोपाल ने स्वान, डेल्फी तथा एतिसलात डीबी के बीच सौदों का ब्यौरा देते हुए कहा, ‘स्वान टेलीकॉम में 9.9 प्रतिशत हिस्सेदारी के संबंध में अंबानी तथा अन्य कर्मचारियों की भूमिका की जांच की जा रही है. इस हिस्सेदारी को डेल्फी को बेचा गया था.’
इसके अनुसार, ‘रिलायंस एडीएजी की स्वान में 9.99 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. स्वान ने 107.90 लाख शेयर डेल्फी को 15 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से बेचे और एतिसलात ने डेल्फी से शेयर 285 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीदे. डेल्फी को दिए गए शेयरों का कम मूल्य आंका गया और रिलायंस को 40 लाख डालर मिले.’ उन्होंने कहा कि कंपनी के तीनों कमर्चारियों के बयान से मुकरने के कारण इसकी जांच की जा रही है इस सौदे का वास्तविक फायदा किसे मिला.
ब्यूरो ने इन आरोपों का खंडन किया कि वीडियोकॉन के प्रमुख वेणुगोपाल धूत के भाई राजकुमार धूत उस दिन तत्कालीन दूरसंचार मंत्री राजा के कार्यालय में मौजूद थे जिस दिन दूरसंचार कंपनियों को आशय पत्र (एलओआई) जारी किए गए.
इसके बाद टाटा ग्रुप के खिलाफ जांच का ब्यौरा देते हुए एजेंसी ने कहा कि इस घोटाले से फायदा मिलने के बजाय उन्हें घाटा हुआ क्योंकि राजा ने षड्यंत्र किया था.
वेणुगोपाल ने कहा, ‘आरोपी के षड्यंत्र के चलते (सर्किल में स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए) टाटा टेलीसर्विसेज को कंपनियों की सूची में सबसे नीचे रखा गया. कंपनी इसमें नुकसान में रही.’ उन्होंने टाटा ग्रुप द्वारा डीएमके परिवार को जमीन उपहार में देने के आरोपों को भी आधारहीन बताया.