गांधीवादी अन्ना हजारे ने अपने गांव से गए सरपंच से मुलाकात न करने के लिए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पर गहरी नाराजगी जाहिर की और कहा कि भविष्य में कांग्रेस नेता से न मिलने के फैसले को सही मानते हैं. हजारे के गांव से गए सरपंच से राहुल के न मिलने को लेकर खासा विवाद उठ गया है.
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इन दिनों मौन व्रत कर रहे हजारे ने एक लिखित बयान में कहा है कि सरपंच और उनकी टीम ने ‘आत्म सम्मान’ के लिए यह फैसला किया है. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि उनके मन में किसी के खिलाफ कोई व्यक्तिगत भावना नहीं है.
रालेगण सिद्धी गांव के सरपंच जयसिंह राव मापारी, हजारे के निजी सचिव सुरेश पठारे और रामदास उगाले मंगलवार को राहुल गांधी से मिलने नयी दिल्ली आए थे. लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हुई क्योंकि बताया जाता है कि उन्होंने राहुल से मुलाकात का समय नहीं लिया था. भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चला रहे अन्ना हजारे ने कहा कि उनके सहयोगियों और सरपंच ने उनसे कहा कि अब वे लोग राहुल से नहीं मिलेंगे.
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हजारे ने बयान में कहा, ‘अब अगर राहुल से मुलाकात का समय दिया भी गया तो भी सरपंच उनसे नहीं मिलेंगे.’ राहुल से मुलाकात का समय न मिलने से क्षुब्ध दल ने दिल्ली से वापस जाने का फैसला किया और कहा कि अब उन्हें मुलाकात का समय मिल भी गया तो गांव ही फैसला करेगा कि कांग्रेस नेता से मिलना चाहिए या नहीं.
कांग्रेस के पी टी थामस ने हालांकि इस ‘संवादहीनता’ के लिए माफी मांगी जिसके चलते भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई. बताया जाता है कि यह बहुचर्चित मुलाकात थॉमस ने ही तय की थी. हजारे ने कहा कि सरपंच को थॉमस का एक फोन कॉल मिला जिसमें उनसे 17 अक्तूबर को दिल्ली आने के लिए कहा गया था. अगले दिन राहुल से मुलाकात होनी थी. उन्होंने कहा, ‘उन लोगों ने मुझसे अनुमति मांगी और मैंने हां कह दिया.’
पठारे ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा था, ‘राहुल गांधी से 18 अक्टूबर को सुबह नौ बजे मुलाकात का समय मिलने की बात सुन कर हम यहां आए थे. हमने सांसद की बात पर भरोसा किया. अब वह कहते हैं कि संवादहीनता की स्थिति है. हम घर लौट रहे हैं.’ पठारे ने कहा था, ‘राहुल से मुलाकात के लिए समय मांगने संबंधी पत्र में हमने कहा था कि जैसा कि सांसद ने कहा है, हम उनसे मिलना चाहते हैं. थॉमस के कार्यालय ने कई बार हमसे संपर्क किया. यहां तक कि राहुल गांधी के कार्यालय ने सरपंच से कई बार संपर्क किया था.
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मापारी ने कहा कि रालेगणसिद्धी गांव से आया दल अपमानित हुआ और राहुल से अब नहीं मिलेगा.
हजारे ने कहा, ‘जब सरपंच और युवकों ने कहा कि वह राहुल गांधी से अब दोबारा नहीं मिलेंगे और न ही उन्हें रालेगणसिद्धी आमंत्रित किया जाएगा तो मुझे खुशी हुई. मैं उस आत्मसम्मान को महत्व देता हूं जो युवाओं ने दिखाया.’ गांधीवादी नेता ने कहा कि उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को जनलोकपाल विधेयक के लिए राहुल से समर्थन लेने की सलाह दी थी लेकिन दुर्भाग्य से मुलाकात ही नहीं हो पाई.
उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल कोई मांग करने के लिए दिल्ली नहीं गया था, ‘देश में राजनीतिक नेताओं ने युवाओं को असहाय बना दिया है. मैं भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को मजबूत करूंगा और युवा शक्ति को जाग्रत करूंगा.’
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हजारे ने कहा कि जब वह अगस्त में रामलीला मैदान में अनशन कर रहे थे तब थॉमस रालेगणसिद्धी आए और यहां हुए काम से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें लगा कि राहुल को यहां आना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘हम राजनीतिक नेताओं को रालेगणसिद्धी आमंत्रित नहीं करते. लेकिन अगर कोई आता है तो हम उसका पूरा स्वागत करेंगे. हम ग्राम विकास पर किसी के साथ भी चर्चा करने के लिए तैयार हैं.’ हजारे ने कहा कि ऐसा लगता है कि ग्रामीण विकास का यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे (सरपंच और उनके दल से) कहा कि देश के विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना जरूरी है और इसीलिए वे दिल्ली गए थे. वे वहां गांधी या थॉमस से कुछ मांगने नहीं गए थे.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैंने टीवी पर देखा कि सरपंच और उनके साथ गए लोग राहुल से मिले बिना खाली हाथ आ गए.’