रामदेव पर अन्ना के तीर जोर-जोर से चल रहे हैं. अन्ना बाबा रामदेव से इतने खफा से लगते हैं कि उन्हें आंदोलन में शामिल भी नहीं करना चाहते. और अगर रामदेव अन्ना के साथ आना चाहते हैं, तो उन्हें देने होंगे तीन सवालों के जवाब.
ना जाने क्या बात है कि अन्ना हजारे बाबा रामदेव से खफा-खफा से हैं. जब भी बात रामदेव की बात होती है, अन्ना किसी बहाने से पल्ला झाड़ने की कोशिश में लग जाते हैं. उनका ताजा बयान ये है कि उनके आंदोलन में रामदेव अगर आएं, तो जनता बनकर आएं, मंच पर बैठने को नहीं मिलेगा.
ये वही अन्ना हैं, पिछले आंदोलन के दौरान जिनके मंच पर बाबा रामदेव बैठ चुके हैं. ये वही अन्ना हैं, जिन्होंने बाबा रामदेव पर हुए पुलिसिया जुल्म के खिलाफ एक दिन का अनशन किया था. लेकिन, इसके बाद बाबा रामदेव को ना जाने क्या हुआ.
11 जून को अन्ना ने बयान दिया कि सामाजिक आंदोलन में शामिल होने से पहले बाबा को अभी और सीखने की जरूरत है. उन्हें इकतरफा फैसले की आदत है. 3 हफ्तों से ज्यादा के निर्वासन के बाद बाबा रामदेव दिल्ली पहुंचे तो राजनीति एक बार फिर गर्म हुई. अन्ना ने फिर अपना बयान दिया.
वो बोले कि हमारी कुछ शर्तें हैं. अगर बाबा रामदेव उन्हें मानेंगे, तभी हम उन्हें आंदोलन में शामिल करने के बारे में सोचेंगे. सूत्रों की मानें, तो अन्ना रामदेव से चंद मुद्दों पर खफा-खफा से हैं. अन्ना बाबा रामदेव से जानना चाहते हैं कि 11 हजार सैनिक तैयार करने वाले बयान का क्या मतलब है. उनके आरएसएस से रिश्ते क्या और कैसे हैं. और उनकी धन-संपत्ति का ब्यौरा क्या है.
जाहिर है अन्ना और रामदेव दोनों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ी है. लेकिन दोनों के आंदोलन में बड़ा फर्क है. जाहिर है इस फर्क ने ही दोनों में दूरी भी खड़ी की हुई है. लेकिन आंदोलन को सियासत बनने से रोकना तो होगा ही.