कांग्रेस महासचिव मनीष तिवारी भले ही अन्ना हजारे के खिलाफ की गईं अपनी टिप्पणियों पर सार्वजनिक रूप से खेद जता चुके हों लेकिन इसका गांधीवादी पर कोई असर नहीं हुआ है.
हजारे ने तिवारी को कानूनी नोटिस भेजकर उन्हें ‘ऊपर से नीचे तक’ भ्रष्ट बताने पर इस प्रवक्ता से लिखित में माफी मांगने के लिए कहा है. हजारे के अधिवक्ता मिलिंद पवार ने गांधीवादी के निर्देंर्शों पर तिवारी को ई-मेल और डाक से नोटिस भेजा. पवार ने इससे पहले कहा था कि कांग्रेसी सांसद के खिलाफ पुणे की अदालत में मानहानि मुकदमा दर्ज कराया जाएगा.
तिवारी को भेजे गये नोटिस में मांग की गई कि ‘आप माफी के साथ खुद और अपनी पार्टी की ओर से लिखित पत्र लिखें, जिसमें भविष्य में (हजारे के बारे में) गलत लांछन और मानहानि वाले बयान नहीं दोहराने का वचन हो.’
इसमें कहा गया कि कांग्रेसी नेता ने हजारे के बारे में मानहानि वाले बयान देकर आईपीसी की धाराओं 499 और 500 के तहत अपराध किया है. गौरतलब है कि तिवारी ने सावंत आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए हजारे पर निशाना साधा था और उन पर ‘ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार में लिप्त’ होने का आरोप लगाया था.
तिवारी ने कहा था कि सावंत आयोग ने हजारे को भ्रष्टाचार में उपर से नीचे तक लिप्त पाया है. हजारे पर हमला करने को लेकर काफी आलोचना झेलने के बाद इस कांग्रेसी नेता ने अपनी टिप्पणियों पर खेद जताया था. तिवारी अपनी टिप्पणियों की वजह से कई दिन तक टीवी कैमरों से गायब हो गये थे.
उन्होंने कहा था, ‘मैं जानता हूं कि मेरे कुछ हालिया बयानों से हजारे को ठेस पहुंची है. मुझे इसके लिए खेद है और मैं इस देश के एक नागरिक के रूप में उनसे अपना अनशन खत्म करने की अपील करता हूं.’
पवार ने कहा कि कांग्रेस प्रवक्ता से यह भी स्पष्ट करने के लिए कहा गया है कि जो कुछ उन्होंने कहा, वह उनका निजी नजरिया है या उनकी पार्टी का नजरिया है. उन्होंने कहा कि अगर तिवारी लिखित माफी नहीं मांगते हैं तो उनके खिलाफ ‘दीवानी और फौजदारी अदालत’ में कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी.