अन्ना हजारे का कहना है कि वह अपनी कोर कमेटी के पुनर्गठन की योजना बना रहे हैं ताकि इसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों, आदिवासियों, दलितों और युवाओं की भागीदारी से भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान को और मजबूत किया जा सके.
हजारे ने अपनी टीम के प्रमुख सदस्यों को निशाना बनाने पर संप्रग सरकार को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया कि जो लोग लोकपाल आंदोलन से डरते है वही उनके समर्थको एवं निकट सहयोगियों पर हमले कर रहे हैं और उनकी टीम को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
अपने पैतृक गांव में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए हजारे ने कहा, ‘उन्हें डर है कि अगर एक मजबूत लोकपाल विधेयक लागू हुआ तो उनका राजनीतिक करियर खतरे में पड़ जाएगा.’ हजारे का अपनी कोर कमेटी का पुनगर्ठन करने का विचार ऐसे समय में आया है, जब उनकी टीम पर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए अन्ना को गुमराह करने और उनका इस्तेमाल करने के आरोप लगाए जा रहे हैं.
टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य किरण बेदी और अरविंद केजरीवाल वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों का सामना कर रहे हैं. अन्ना ने कहा, ‘हम कोर कमेटी में सभी वर्गों दलितों, मुसलमानों, आदिवासियों और अन्य सभी को लेंगे. किसी को यह शिकायत नहीं होनी चाहिए कि उन्हें मौका नहीं दिया गया.’
उन्होंने कहा, ‘युवकों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. कमेटी में युवा शक्ति का होना बहुत जरूरी है. कमेटी के लिए विभिन्न समुदाय के युवकों को लिया जाएगा.’ उन्होंने बताया कि जब कोर कमेटी का गठन किया गया था तो कुछ वर्गों से ऐसी शिकायत मिली थी कि उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘वह समिति ढाई महीने के लिए थी, लेकिन अब हम जो कमेटी बनाएंगे वह कहीं ज्यादा समय के लिए होगी.’ हजारे ने कहा कि वह और उनकी टीम किसी के सामने झुकने वाले नहीं. उन्होंने सरकार को ललकारा कि वह उनकी टीम के सदस्यों पर लगाए गए अनियमितताओं के आरोपों के समर्थन में कोई सुबूत दे.