सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने देश में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए एक व्यापक जन लोकपाल विधेयक लाने की मांग करते हुए अपना आमरण अनशन शुरू कर दिया.
72 वर्षीय हजारे ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के बाद एक मार्च निकाला और जंतर मंतर पर अनशन पर बैठे.
हजारे ने संवाददाताओं से कहा, ‘जब तक सरकार हमारे देश में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी जन लोकपाल विधेयक को प्रभाव में नहीं लाती तब तक वह आमरण अनशन पर रहेंगे.’ इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश, पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी और संदीप पांडेय भी मौजूद थे.
हजारे ने सोमवार को कहा था कि उन्हें इस बात से काफी दुख हुआ कि प्रधानमंत्री ने जन लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली संयुक्त समिति में वरिष्ठ मंत्रियों के साथ समाज के जाने माने लोगों को शामिल करने के उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया.
हजारे ने कहा कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संतोष हेगड़े, वकील प्रशांत भूषण और स्वामी अग्निवेश जैसे जानेमाने लोगों के विचारों को सरकार ने महत्वपूर्ण नहीं समझा और शरद पवार सरीखे एक मंत्री विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली समिति के प्रमुख हैं, जो महाराष्ट्र में बड़े स्तर पर जमीन रखने के लिए जाने जाते हैं.
{mospagebreak} इस बीच प्रधानमंत्री कार्यालय ने हजारे के आमरण अनशन पर जाने के फैसले पर निराशा प्रकट की. पीएमओ ने सोमवार की रात एक वक्तव्य जारी कर कहा, ‘पीएमओ इस बात पर गहरी निराशा प्रकट करता है कि हजारे अब भी अपनी भूख हड़ताल पर जाने के बारे में सोच रहे हैं.’ इसमें कहा गया है कि हालांकि प्रधानमंत्री के मन में हजारे और उनके मिशन के लिए काफी सम्मान है.
प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान में लोकपाल विधेयक पर उठाये गये कदमों के बारे में बताया गया है कि हजारे और उनके समूह ने प्रधानमंत्री को लोकपाल पर अपने प्रस्तावों का मसौदा दिया था.
विज्ञप्ति के अनुसार, ‘प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया और समूह ने स्वीकार किया कि मंत्रिसमूह की उप समिति नागरिक संगठन के कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत और विचार विमर्श कर सकती है.’
पीएमओ के अनुसार, ‘रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी की अध्यक्षता वाली समिति ने हजारे के सहयोगी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की लेकिन बातचीत विफल रही क्योंकि कार्यकर्ता सरकार द्वारा पूरी तरह अपना मसौदा स्वीकार किये जाने पर जोर दे रहे थे.’