केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने दावा किया है कि 23 जून को उनकी समाजसेवी अन्ना हजारे के साथ 'गोपनीय मुलाकात' हुई थी, जिसमें अन्ना हजारे ने कहा था कि उनके मन में कांग्रेस के खिलाफ कोई द्वेष नहीं है और वह अपनी टीम के सदस्यों की गलतियों को भी जानते हैं, लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं रह गया है, क्योंकि यदि वह पीछे हटते हैं तो इससे आंदोलन को नुकसान होगा.
खुर्शीद ने कहा कि अन्ना हजारे जब अकेले होते हैं तो एक भाषा बोलते हैं, लेकिन यदि वह इंडिया अगेंस्ट करप्शन के सदस्यों के साथ होते हैं तो दूसरी भाषा बोलते हैं.
अन्ना हजारे के साथ अपनी मुलाकात की विस्तृत जानकारी देते हुए खुर्शीद ने खोजी समाचार पत्रिका तहलका से कहा कि उनकी मुलाकात दोनों को जानने वाले एक मित्र ने 'राष्ट्रीय हितों' को ध्यान में रखते हुए करवाई थी, क्योंकि इस मुद्दे पर दोनों के विचार समान हैं.
खुर्शीद ने दावा किया कि अन्ना हजारे से उनकी मुलाकात करीब दो घंटे तक नाश्ते पर हुई. उन्होंने कहा, 'अन्ना के मन में कांग्रेस के खिलाफ कोई द्वेष नहीं है और उन्होंने महाराष्ट्र में कांग्रेस के मंत्रियों को हटाने के लिए कभी नहीं कहा, बल्कि उन्होंने मुख्यमंत्री (पृथ्वीराज चव्हाण) की तारीफ की और उनसे मिलने की बात कही.' केंद्रीय मंत्री के अनुसार, 'अन्ना हजारे ने कहा था कि वह देश का दौरा करने के पक्ष में नहीं हैं और न ही 25 जुलाई या नौ अगस्त को अनशन करना चाहते हैं.'
खुर्शीद से जब यह पूछा गया कि अन्ना हजारे ने उनके समक्ष क्या मांगें रखीं तो उन्होंने कहा, 'अन्ना हजारे ने सिटिजन चार्टर, निचले स्तर की नौकरशाही को लोकपाल के दायरे में लाने और राज्यों में लोकायुक्तों के गठन की अपनी तीन मांगें दोहराई.'
खुर्शीद के अनुसार, 'जब मैंने अन्ना हजारे के सहयोगियों के इरादों को लेकर संदेह जताया तो उन्होंने कहा कि वह उनकी गलतियों के बारे में जानते हैं, लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि पीछे हटने से आंदोलन को नुकसान होगा. लेकिन यदि सहयोगियों ने कुछ अधिक गलत किया तो वह उनका साथ छोड़ देंगे.'
'अन्ना हजारे ने खासतौर पर कहा कि किरण बेदी को उनमें पूरा भरोसा है और वह उनकी बात सुनेंगी. न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े भी बहुत समझदार व्यक्ति हैं. बाबा रामदेव के बारे में अन्ना हजारे ने कहा कि बाबा रामदेव ने समर्थन के लिए उनके नाम का इस्तेमाल किया, लेकिन उनका एजेंडा बिल्कुल अलग है.'