अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को फिर से पत्र लिखकर कहा है कि इस बात पर संदेह है कि लोकपाल विधेयक 23 दिसम्बर तक पारित हो पाएगा. 23 दिसम्बर को संसद का शीत सत्र खत्म हो रहा है. उन्होंने चेतावनी दी है कि विधेयक पारित नहीं होने पर वह अपना प्रस्तावित अनशन और ‘जेल भरो’ आंदोलन शुरू करेंगे.
चार पन्नों के पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार का व्यवहार ‘बिल्कुल ठीक नहीं’ है और पूछा कि सिंह ने लिखित आश्वासन देने के बावजूद नागरिक अधिकार पत्र (सिटीजंस चार्टर) पर अपना रुख क्यों बदल दिया. उन्होंने आश्वासन दिया था कि नागरिक अधिकार पत्र लोकपाल विधेयक का हिस्सा होगा.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीने से सिंह पत्रों के माध्यम से उन्हें आश्वासन देते रहे कि संसद के शीतकालीन सत्र में मजबूत लोकपाल विधेयक पारित किया जाएगा.
हजारे ने कहा कि पिछले एक वर्ष में सरकार ने लोकपाल विधेयक पर काफी आश्वासन दिये लेकिन हर बार उन्होंने देश के लोगों के साथ छल किया. उन्होंने कहा कि आपकी बातों को ध्यान में रखते हुए हमने शीत सत्र तक अपने सभी आंदोलन स्थगित कर दिये. मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक शीत सत्र 23 दिसम्बर को खत्म होगा. क्या तब तक लोकपाल विधेयक पारित हो जाएगा, हमें इस पर संदेह है.
हजारे ने पत्र में लिखा है कि आपके वादों के बावजूद संसद के इस सत्र में अगर मजबूत, स्वतंत्र और प्रभावी विधेयक पारित नहीं होता, तो 27 दिसम्बर से मैं अनशन पर बैठने को बाध्य होउंगा. जेल भरो आंदोलन 30 दिसम्बर से शुरू होगा. सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को लोकपाल के तहत लाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि लगता है कि कोई भी सरकार राजनीतिक कारणों से सीबीआई पर नियंत्रण नहीं छोड़ना चाहती.
सीबीआई के दुरुपयोग पर उन्होंने कहा कि क्या इसका मतलब यह है कि लोकपाल के पास जांच एजेंसी नहीं होगी. बिना जांच एजेंसी के यह क्या करेगी? इससे अच्छा है कि लोकपाल बने ही नहीं. हजारे ने कहा कि वह यह देखकर आश्चर्यचकित रह गये कि केंद्रीय कैबिनेट ने अलग से नागरिक अधिकार पत्र को 13 दिसम्बर को मंजूरी दी जबकि संसद पहले ही प्रस्ताव पारित कर चुकी है कि यह लोकपाल के अधीन होगा.
सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि आपने खुद मुझे पत्र लिखा है और अब आप अपना रुख क्यों बदल रहे हैं और कहते हैं कि इसे स्थायी समिति को भेजा जाएगा. इसमें चार महीने और लग जाएंगे.आपको नहीं लगता कि लोगों के साथ बार-बार ठगी हो रही है.
उन्होंने संसद की स्थायी समिति की उन अनुशंसाओं की ओर भी ध्यान दिलाया जिसमें लोकपाल की खोज एवं चयन समिति की खामियों का जिक्र हैं क्योंकि इसमें नेताओं की बड़ी भूमिका होगी.
हजारे ने आरोप लगाया कि संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष अभिषेक मनुसिंघवी ने सदन द्वारा पारित प्रस्तावों पर संज्ञान नहीं लेकर संसद का अपमान किया है.
उन्होंने पत्र में लिखा है कि तीन मुद्दों-निचली नौकरशाही को शामिल करना, सिटीजंस चार्टर और राज्यों में लोकायुक्त, में से दो को स्वीकार नहीं किया गया. अगर स्थायी समिति के अध्यक्ष संसद के प्रस्ताव की उपेक्षा करते हैं, तो हमारे लोकतंत्र का भविष्य क्या होगा. उन्होंने कहा कि स्थायी समिति की रिपोर्ट (लोकपाल पर) देश के लोगों के साथ धोखा है.