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लोकपाल मुद्दे पर दबाव बनायें ममता: अन्‍ना

अन्ना हजारे ने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से अनुरोध किया कि वह लोकपाल के मुद्दे पर संप्रग सरकार पर वैसे ही दबाव बनायें जैसा कि उन्होंने खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर बनाया था.

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अन्ना हजारे
अन्ना हजारे

अन्ना हजारे ने अलग से सिटीजन चार्टर लाने के सरकार के प्रस्ताव में यह कहते हुए खोट निकाला कि यह संसद की ओर से उन्हें दिये गए आश्वासन के खिलाफ है. हजारे ने इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से अनुरोध किया कि वह लोकपाल के मुद्दे पर संप्रग सरकार पर वैसे ही दबाव बनायें जैसा कि उन्होंने खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर बनाया था.

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उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘सिटीजन चार्टर को अलग कानून के रूप में नहीं पेश किया जाना चाहिए. जब संसद ने अपना निर्णय दे दिया है तो उसके लिए अलग विचार देने की क्या आवश्यकता है. यह सही नहीं है.’ हजारे की ओर से यह टिप्पणी ऐसे समय में आयी है जब अन्ना पक्ष की कोर कमेटी बैठक कर रही है.

इस बैठक का आयोजन मजबूत लोकपाल विधेयक संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र में पारित नहीं होने की स्थिति में रामलीला मैदान मे प्रस्तावित आंदोलन सहित भविष्य की अन्य योजनाएं तय करने के लिए किया गया है. अन्ना हजारे ने इस बैठक की अध्यक्षता की.

इस बैठक में उनकी चिंताओं को दूर करने वाला लोकपाल विधेयक पारित नहीं होने की स्थिति में 27 दिसम्बर से अनिश्चित कालीन अनशन पर जाने के उनके निर्णय पर अंतिम विचार विमर्श किया जाना है. हजारे ने बैठक से पहले कहा, ‘लोकपाल पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को कैबिनेट की बैठक हुई थी. बैठक के दौरान कैबिनेट ने सिटीजन चार्टर को अलग कानून बनाने पर चर्चा की जिसके बारे में मेरा मानना है कि पूरी तरह से गलत है.’

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उन्होंने कहा, ‘यह गलत है क्योंकि जब मैं रामलीला मैदान में अनशन कर रहा था तब प्रधानमंत्री ने मुझे पत्र लिखकर यह आश्वासन देते हुए अनशन समाप्त करने को कहा था कि तीन महत्वपूर्ण बिंदु सिटीजन चार्टर, निचली नौकरशाही और राज्य लोकायुक्त विधेयक का हिस्सा होंगे और संसद ने इससे सहमति जतायी थी.’

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर संसद की ओर से फैसला लेने के बाद अलग कानून बनाने का निर्णय सही नहीं है. ‘इसका मतलब है कि संसद पर भरोसा नहीं किया गया था. वह संसद थी जिसने प्रस्ताव के लिए समर्थन दिया था और उनका कहना है कि अन्ना का संसद में विश्वास नहीं है. ये वे हैं जो संसद पर विश्वास नहीं करते.’ हजारे ने ‘बहन ममता बनर्जी से अनुरोध किया लोकपाल के लिए ‘अच्छी चीजों का समर्थन करें’ ताकि भ्रष्टाचार को कुछ सीमा तक मिटाया जा सके क्योंकि एफडीआई पर उनके निर्णय ने कई छोटे व्यापारियों को बचाया.’

हजारे ने कहा, ‘एफडीआई के मामले में उन्होंने (ममता) एक शानदार कार्य किया. उनके निर्णय ने कई छोटे व्यापारियों को बचा लिया. हमारा अनुरोध है कि भ्रष्टाचार का एक बड़ा खतरा झेल रहे देश को लोकपाल मिलना चाहिए जो कि इसे 100 प्रतिशत नहीं तो 60 से 70 प्रतिशत तो मिटा ही सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘हमारा ‘बहन’ ममता से यही अनुरोध है कि आपको लोकपाल के लिए कुछ अच्छे शब्द आगे रखने चाहिए ताकि भ्रष्टाचार को कुछ सीमा तक मिटाया जा सके.’

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अन्ना पक्ष की दो दिवसीय कोर कमेटी की बैठक की अध्यक्षता हजारे कर रहे हैं इसका आयोजन लोकपाल विधेयक पर रिपोर्ट को संसद की स्थायी समिति की ओर से ‘कमजोर’ करने के खिलाफ हजारे के दिनभर चले अनशन के बाद किया जा रहा है. कोर कमेटी में इस मुद्दे पर भी चर्चा होगी कि स्थिति उत्पन्न होने पर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अभियान को आगे कैसे बढ़ाना है.

सूत्रों ने बताया कि कोर कमेटी की बैठक में रामलीला मैदान आंदोलन के तरीके पर भी चर्चा होगी. जैसे क्या हजारे अनशन पर बैठेंगे या नहीं तथा उस प्रदर्शन के लिए समर्थन कैसे जुटाया जाए जिसका आयोजन ऐसे समय में होगा जब ठंड अपने चरम पर होगी. सूत्रों ने बताया कि इसके साथ ही हजारे के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंताएं हैं.

प्रदर्शन के तरीके का निर्णय करते समय इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखा जाएगा. हजारे ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सीधे निशाने पर लेते हुए सरकार पर यह कहते हुए हमले तेज कर दिये हैं कि प्रधानमंत्री ‘कोई निर्णय नहीं करते’ जबकि राहुल गांधी प्रस्तावों को ‘कमजोर’ कर रहे हैं. कांग्रेस लगातार इस बात पर जोर डाल रही है कि हजारे को विरोध प्रदर्शन शुरू करने से पहले संसद की ओर से विधेयक पारित किये जाने का इंतजार करना चाहिए.

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