सर्वदलीय बैठक पर श्रीश्री रविशंकर ने आजतक के साथ बातचीत में कहा कि अन्ना को सरकार पर भरोसा नहीं है. श्रीश्री ने कहा कि अन्ना तो कुर्बानी तक देने के लिए तैयार हैं.
आजतकः सर्वदलीय बैठक से कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिले हैं और यह एक लंबी राजनीतिक प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है. तो ऐसे में क्या अन्ना को अपना अनशन नहीं तोड़ देना चाहिए?
श्रीश्रीः अन्ना हजारे की एक ही मांग है कि संसद में जनलोकपाल को पेश किया जाए तो वे अनशन तोड़ देंगे.
आजतकः तीन तरह के बिल हैं. इनको आपस में जोड़कर संसद में पेश करने में कुछ वक्त तो लगेगा, लेकिन क्या इससे पहले अन्ना को कम से कम ड्रिप नहीं ले लेना चाहिए?
श्रीश्रीः हम देर नहीं कर सकते हैं. उनका स्वास्थ्य कल से बेहतर है. तीन-चार बिल रखने से फिर भ्रम की स्थिति हो जाएगी. अन्ना को सरकार पर विश्वास नहीं है. पीएम खुद कह रहे हैं तो अन्ना को मान लेना चाहिए.
आजतकः क्या आपको नहीं लगता कि एक लंबी लड़ाई की प्रक्रिया के आलोक में उन्हें अनशन तोड़ना चाहिए?
श्रीश्रीः यह एक ऐसा अद्भुद संघर्ष है, जहां कोई हिंसा नहीं हुई है. 6 दिनों तक कोई बातचीत नहीं हुई. इस बिल को पार्लियामेंट में रखने का आश्वासन मिले और बाकी सभी बिलों को हटाया जाए यह अन्ना की मांग है. अन्ना हठी हैं, वो कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं. उन्हें मनाना कठिन है.
आजतकः अगर अन्ना को रामलीला मैदान से हटाया गया तो भीड़ बेकाबू हो सकती है? क्या सिविल सोसाइटी को लचीला रवैया अपनाना चाहिए?
श्रीश्रीः सभी को लचीला रवैया अपनाना चाहिए. चिदंबरम या सिब्बल सभी लचीला रूख अपनायें. आप अपने चैनल के जरिए लोगों से आग्रह करें कि कोई हिंसा या आत्महत्या जैसी चीजों को नहीं अपनायें. अहम पर नहीं ले कोई. कल एक युवक ने आत्महत्या का प्रयास किया. अन्ना उस पर चिंतित हैं. नेता अपनी पार्टियों से पहले देश की सोचें.
आजतकः अरविंद केजरीवाल स्टेज पर आकर कहते हैं कि अन्ना को कुछ हुआ तो सरकार जिम्मेदार होगी इस पर क्या कहना है आपका?
श्रीश्रीः किसी भी तरह की उद्वेग पैदा नहीं करना चाहिए, नहीं तो हाथ से जा सकती है परिस्थिति.